प्रधानमंत्री मोदी ने रामेश्वरम में डॉ कलाम स्मारक का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम को समर्पित एक स्मारक का रामेश्वरम के पीकारंबू में उद्घाटन किया. कलाम की आज दूसरी पुण्यतिथि है.
मोदी ने कलाम स्मारक का उद्घाटन किया |
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति के गृह नगर में उस जगह पर बने स्मारक को देशवासियों को समपर्ति किया जहां मिसाइल मैन के पार्थिव शरीर को दफनाया गया था.
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कलाम की वीणा बजाते हुये लकड़ी से बनी एक प्रतिमा का भी अनावरण किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ तमिलनाडु के राज्यपाल
चौधरी विद्यासागर राव, मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी, केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन और राजग की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एम वेंकैया नायडू भी मौजूद थे.
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा बनाये गये इस स्मारक के प्रवेश द्वार पर प्रधानमंत्री ने राष्ट्रध्वज भी फहराया. डीआरडीओ के साथ कलाम दशकों तक वैज्ञानिक के तौर पर जुड़े रहे थे.
मोदी ने बाद में कलाम के परिवार के सदस्यों से बातचीत भी की.
वह कलाम के बड़े भाई एपीजे मोहम्मद मुथुमीरन मारायीकयार से बात करते वक्त बेहद प्यार से उनका हाथ पकड़े हुये थे.
विविधता में एकता विषय के साथ तैयार किये गये इस स्मारक में कलाम के उद्धरणों के अलावा एक वैज्ञानिक और देश के राष्ट्रपति के तौर पर उनकी तस्वीरों को लगाया गया है.
इस स्मारक में उन रॉकेटों और प्रक्षेपास्त्रों की अनुकृतियां लगाई गई हैं जिन पर कलाम ने काम किया था.
स्मारक के पहले चरण का उद्घाटन जहां आज हुआ है वहीं इसके दूसरे चरण को अगले 18 महीने में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. उसके बाद इसमें एक पुस्तकालय, तारामंडल और प्रेक्षागृह भी होगा.
मोदी ने एक प्रदर्शनी बस‘ कलाम संदेश वाहिनी‘ को हरी झंडी दिखायी. ‘द कलाम 2020 साइंस व्हीकल’ एक डिजिटल चलित संग्रहालय है जिसे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन ने तैयार किया है. इसमें भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) और डीआरडीओ के साथ ही मिसाइलमैन के स्कूली दिनों की वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक प्रदर्शनी वाहन में ‘अग्नि’मिसाइल और ‘पोखरण-2’ परमाणु बम परीक्षण की दुर्लभ तस्वीरें भी रखी जायेंगी. यह वाहन विभिन्न राज्यों से होते हुए डॉ. कलाम की जयंती 15 अक्टूबर के दिन राष्ट्रपति भवन पहुंचेगी.
बाद में मोदी ने मंडपम में एक रैली के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बरास्ता अयोध्या रामेश्वरम-फैजाबाद नयी साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखायी.
अयोध्या को दक्षिण भारत से जोड़ने वाली यह पहली सीधी ट्रेन रामेश्वरम से दोपहर 12.00 बजे रवाना होकर कल तड़के 03.20 बजे चेन्नई एगमोर पहुंचेगी और 29 जुलाई की रात्रि 23.00 बजे फैजाबाद पहुंचेगी. इस ट्रेन का मनामदुरै, तंजावुर, विल्लुपुरम, चेन्नई एगमोर, गुडुर, विजयवाड़ा, वारंगल, बल्लारशाह, नागपुर, इटारसी, जबलपुर, सतना, इलाहाबाद, जौनपुर में ठहराव दिया गया है.
दक्षिण रेलवे के सूत्रों के मुताबिक रामेश्वरम-फैजाबाद-रामेरम एक्सप्रेस नियमित तौर पर छह अगस्त रविवार को रामेश्वरम से और नौ अगस्त को फैजाबाद से चला करेगी.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग-87 पर 9.5 किलोमीटर लंबी लिंक रोड का भी उद्घाटन किया. मुकुंदरयार चाथीराम को अरीचलमुनई से जोड़ने वाली इस लिंक रोड की लागत 70 करोड़ रुपए आई है.
चक्रवाती तूफान के कारण 1964 में बुरी तरह तबाह हुए धनुषकोडी को 53 वर्षों बाद इस लिंक रोड से काफी लाभ होगा.
मोदी ने रामेश्वरम को पर्यावरण-प्रेमी बनाने के लिए 24.02 करोड़ रुपए की लागत से ‘ग्रीन रिसाइलियंट रामेरम’ परियोजना की शुरुआत भी की.
इस स्मारक का निर्माण डीआरडीओ की ओर से किया गया है. 2.11 एकड़ क्षेत्र में फैले इस स्मारक की लागत 15 करोड़ रुपए आई है.
वास्तुशास्त्र के अनुसार इस स्मारक के लिए कई राष्ट्रीय स्मारकों से प्रेरणा ली गयी है. स्मारक का प्रवेश द्वार इंडिया गेट के समान है जबकि इसके दोनों गुंबद राष्ट्रपति भवन के समान हैं.
स्मारक के पहले हॉल में डॉ कलाम के बचपन और उनकी शिक्षा से संबंधित विषयों से जुड़ी चीजें हैं. स्मारक के दूसरे हॉल में राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल से संबंधित विषयों को केन्द्र में रखा गया है जिसमें संसद में उनके भाषण के अलावा संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषण भी शामिल हैं. स्मारक के तीसरे हॉल में डॉ कलाम के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और डीआरडीओ में बिताए गए दिनों से जुड़े विषयों को आधार बनाया गया है.
इस स्मारक में एक विशेष कक्ष भी है जिसमें डॉ कलाम की व्यक्तिगत चीजों को संभाल कर रखा गया है. इसमें उनकी रुद्र वीणा और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान के दौरान उनके द्वारा पहना गया जी-सूट भी रखा गया है. इसके अलावा इसमें डॉ कलाम को मिले विभिन्न पुरस्कारों को भी रखा गया है.
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