आर्थिक मामलों की सचिव अनुराधा ठाकुर ने सोमवार को कहा कि भारत को ‘वैश्विक क्षमता केंद्रों’ (जीसीसी) का प्रमुख केंद्र बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों को सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है।

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ठाकुर ने इस बात पर जोर दिया कि जीसीसी की अधिक मौजूदगी वाले कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों की सफल नीतियों का अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि उन्हें पूरे देश में दोहराया जा सके।
फिलहाल भारत में लगभग 1,800 जीसीसी सक्रिय हैं, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए विदेशी क्षमता सुविधाओं के रूप में काम करते हैं। इनका भारतीय अर्थव्यवस्था के कुल सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में लगभग 1.8 प्रतिशत का योगदान है।
ठाकुर ने ‘सीआईआई-जीसीसी व्यवसाय सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि स्टार्टअप पारिस्थितिकी में नवाचार ने भारत में जीसीसी की मौजूदगी को बढ़ावा देने का काम किया है।
आर्थिक मामलों की सचिव ने दूसरी श्रेणी के शहरों में जीसीसी के विस्तार के लिए केंद्र एवं राज्यों के बीच संवाद और आवश्यक ढांचे के विकास की जरूरत पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि कई राज्यों में प्रतिभाशाली संसाधन हैं, जो जीसीसी को लागत-प्रतिस्पर्धी बनने में मदद कर सकते हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय श्रम सचिव वंदना गुरनानी ने भारत में जीसीसी के विकास की अपार संभावनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि खासकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिहाज से यह बहुत महत्वपूर्ण है।
गुरनानी ने कहा कि देश में युवा बेरोजगारी दर 10.2 प्रतिशत है, जो वैश्विक औसत 13.3 प्रतिशत से कम है। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के संदर्भ में श्रमबल भागीदारी दर में वृद्धि और श्रम सुधारों के महत्व पर भी जोर दिया।
उन्होंने बताया कि श्रम मंत्रालय ‘शिक्षा से रोजगार तक’ करियर लाउंज स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालयों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों के साथ साझेदारी कर रहा है।
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