ED की DJB Tendering प्रक्रिया में गड़बडि़यों से जुड़े 2 मामलों में 16 परिसरों पर छापेमारी

Last Updated 26 Jul 2023 07:52:02 AM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को कहा कि उसने DJB की निविदा प्रक्रिया में मानदंडों के उल्लंघन और अनियमितताओं से संबंधित एक मामले के संबंध में दिल्ली जल बोर्ड (DJB), NBCC और निजी संस्थाओं के अधिकारियों पर दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR), चेन्नई (Chenni)और केरल (Kerala) में सोलह परिसरों की तलाशी ली।


ईडी ने डीजेबी टेंडरिंग प्रक्रिया में गड़बडि़यों से जुड़े 2 मामलों में 16 परिसरों पर मारे छापे

एक अधिकारी ने कहा कि ईडी डीजेबी की निविदा प्रक्रिया में अनियमितताओं के दो अलग-अलग मामलों की जांच कर रही थी।

ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की, जिसमें आरोप लगाया गया कि डीजेबी के अधिकारियों ने एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के अधिकारियों की मिलीभगत से विद्युत चुम्बकीय प्रवाह मीटर की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और कमीशनिंग के लिए कंपनी को टेंडर देते समय एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को अनुचित लाभ दिया।

एक अधिकारी ने कहा, "एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड 2017 में उपरोक्त निविदा की तकनीकी बोली के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के तत्कालीन महाप्रबंधक डी.के. मित्तल द्वारा जारी किए गए झूठे प्रदर्शन प्रमाणपत्र और एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के तत्कालीन परियोजना कार्यकारी साधन कुमार द्वारा जारी किए गए मनगढ़ंत विचलन विवरण को सुरक्षित करने में कामयाब रही।"

अधिकारी ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया के दौरान एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 38 करोड़ रुपये के टेंडर को अर्हता प्राप्त करने और हासिल करने के लिए डीजेबी के तत्कालीन मुख्य अभियंता, जगदीश कुमार अरोड़ा और उनके अधीनस्थ अधिकारियों के साथ साजिश रची।

दूसरे मामले में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, जीएनसीटीडी द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के आधार पर एक जांच शुरू की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि डीजेबी ने उपभोक्ताओं को बिल भुगतान में सुविधा प्रदान करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड द्वारा तय किए गए विभिन्न डीजेबी कार्यालयों में विभिन्न स्थानों पर ऑटोमोटिव बिल भुगतान संग्रह मशीनें (कियोस्क) स्थापित करने के लिए एक निविदा प्रदान की थी।

टेंडर 2012 में कॉर्पोरेशन बैंक को दिया गया था, जिसे आगे चेन्नई स्थित निजी कंपनियों फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और ऑरम ई-पेमेंट्स प्रा. लिमिटेड को ठेका दिया गया था।

इन कंपनियों ने निर्धारित समय अवधि के भीतर डीजेबी के बैंक खाते में नकद भुगतान संग्रह जमा नहीं करके समझौते में निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन किया था।

यह अनुबंध शुरू में तीन साल के लिए दिया गया था, जिसे लगातार देरी और डीजेबी के लिए एकत्रित बिल भुगतान राशि के गैर-हस्तांतरण के बावजूद डीजेबी द्वारा समय-समय पर वित्तवर्ष 2019-20 तक बढ़ा दिया गया था।

जांच से पता चला कि विमुद्रीकरण अवधि के दौरान 10.40 करोड़ रुपये की नकदी संग्रह डीजेबी को जमा या हस्तांतरित नहीं किया गया था और वर्ष 2019 में एकत्र किए गए धन को 300 दिनों से अधिक के अंतराल के बाद विमुद्रीकरण अवधि के बिल भुगतान के साथ मिलान किया गया था।

जांच से पता चला कि निविदा की पूरी अवधि के दौरान दिल्ली जल बोर्ड को कुल 14.41 करोड़ रुपये का मूल नुकसान हुआ। रकम अभी भी फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड व मैसर्स ऑरम ई-पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशक राजेंद्रन के. नायर के पास बकाया है।

अधिकारी ने कहा, "तलाशी की कार्यवाही के दौरान डीजेबी, एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के अधिकारियों और इसमें शामिल निजी संस्थाओं के निदेशकों के परिसरों से विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद और जब्त किए गए। जगदीश कुमार अरोड़ा के नाम पर विभिन्न अघोषित संपत्तियों का विवरण भी बरामद किया गया।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment