वृक्षारोपण में 'वित्तीय अनियमितताओं' पर दिल्ली सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

Last Updated 27 Sep 2022 04:07:18 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) और अन्य को राष्ट्रीय राजधानी में लगाए गए पेड़ पौधों की संख्या, प्रकार और आखिरी में इसकी लागत का पता लगाने के लिए नोटिस जारी किया।


मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा के नेतृत्व वाली पीठ जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई की और एमओईएफसीसी को ईपीए अधिनियम 5 के तहत 8-10 वर्षों की न्यूनतम अवधि के लिए वृक्षारोपण की रणनीति बताने को कहा।

अदालत ने मामले में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, डीडीए, एमसीडी, एनडीएमसी, सीपीडब्ल्यूडी, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली जैव विविधता परिषद, दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसाइटी, एएसआई, एनएचएआई और सीपीसीबी से भी जवाब मांगा।

पर्यावरणविद् दीवान सिंह की ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसमें सरकारी एजेंसियों द्वारा किए गए एक दिवसीय वृक्षारोपण का मुद्दा उठाया गया था। इसके अलावा, वृक्षारोपण के लिए उपलब्ध भूमि की कमी, एक-दूसरे के बेहद करीब किए गए वृक्षारोपण के गलत तरीके, रखरखाव की कमी जैसे मुद्दों को उठाया गया था।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने तर्क दिया कि वृक्षारोपण करने वाली एजेंसियों में से कोई भी प्रजातियों, संख्या, सटीक क्षेत्रों, जियोटैग किए गए स्थानों और लागत आदि के बारे में उचित रिकॉर्ड नहीं रख रही है। कैग की रिपोर्ट में दिल्ली वृक्ष प्राधिकरण की अनियमितताओं को उजागर करती है।

वशिष्ठ ने अदालत से कहा, वृक्षारोपण से संबंधित कोई भी जानकारी उनकी वेबसाइटों पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराई जाती है, जिससे आम नागरिक को ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी देखने और भाग लेने या प्रतिक्रिया देने की अनुमति नहीं मिलती।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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