चुनाव पूर्व घोषणाओं पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए: केजरीवाल

Last Updated 03 Aug 2022 11:45:53 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सरकारी खजाने से ‘‘मित्रों’’ को करोड़ों रुपये देने से आर्थिक संकट पैदा होगा, न कि लोगों को मुफ्त सुविधाएं प्रदान करने से। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव पूर्व घोषणाओं पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र, नीति आयोग, वित्त आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक सहित सभी हितधारकों से चुनावों के दौरान मुफ्त में दिए जाने वाले उपहारों के मुद्दे पर विचार करने और इससे निपटने के लिए “रचनात्मक सुझाव” देने को कहा है।
 न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद केजरीवाल का बयान सामने आया है।

मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में उपहार देने के मुद्दे को ‘‘गंभीर’’ करार दिया और संकेत दिया कि वह इस मुद्दे से निपटने के लिए सरकार को उपाय सुझाने के लिए एक निकाय स्थापित करने का आदेश देगा।

केंद्र ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से मामले में अपने नए रुख से पीठ को अवगत कराया और जनहित याचिका का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि मुफ्त उपहारों का वितरण (देश को) निस्संदेह 'भविष्य की आर्थिक आपदा' की राह पर धकेलता है।

उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केजरीवाल ने कई ट्वीट कर कहा, ‘‘जनता को मुफ़्त सुविधाएं देने से आर्थिक संकट नहीं आयेगा। दोस्तों को लाखों करोड़ों रुपए का फ्री का फायदा देने से आर्थिक संकट आएगा।’’

उन्होंने पूछा, ‘‘चुनाव से पहले घोषणाओं पर रोक? क्यों? घोषणाओं से आर्थिक संकट कैसे आयेगा? इनका निशाना कही और है।’’

केजरीवाल ने कहा, ‘‘चुनावों के दौरान घोषणाओं पर रोक नहीं होनी चाहिए और लोगों से इस बात पर विचार करने का आह्वान किया कि क्या सरकारें बच्चों को अच्छी शिक्षा और लोगों को मुफ्त चिकित्सा उपचार प्रदान करें या देश के बैंकों को "लूटने" वालों के ऋण की अदायगी को माफ करें।’’

उन्होंने कहा, "हमारे बच्चों को मुफ्त/अच्छी शिक्षा मिले या नहीं, हर भारतीय को मुफ्त में अच्छा इलाज मिले या बैंक लूटने वालों का बकाया कर्ज माफ किया जाए- देश को इस पर विचार करना चाहिए।"

हालांकि, केजरीवाल ने निजी कंपनियों को कर्ज माफी के साथ-साथ "मुफ्त या सस्ती" सुविधाएं देने का समर्थन किया।
 

भाषा
नई दिल्ली


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