शरजील इमाम ने देशद्रोह कानून पर रोक के बाद दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मांगी

Last Updated 16 May 2022 10:21:52 PM IST

जेएनयू के शोध छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता शरजील इमाम ने राजद्रोह के औपनिवेशिक युग के दंडात्मक प्रावधान पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद राहत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है।


जेएनयू के शोध छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता शरजील इमाम

वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत सलाखों के पीछे हैं। अपनी ताजा जमानत अर्जी में उन्होंने कहा कि चूंकि शीर्ष अदालत ने देशद्रोह (भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए) को स्थगित कर दिया है, इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।

वह 2019 और 2020 में सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली के जामिया इलाके में उनके द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के मामले में अंतरिम जमानत मांग रहे हैं।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ मंगलवार को उनकी याचिका पर सुनवाई करेगी।

याचिका में कहा गया है, "अपीलकर्ता को 28 जनवरी, 2020 से लगभग 28 महीने के लिए जेल में रखा गया है, जबकि उनके मामले में आईपीसी की धारा 124-ए शामिल नहीं है, जिसके तहत अधिकतम 7 साल कैद की सजा है।"

दिल्ली पुलिस के अनुसार, उमर खालिद 2020 की दिल्ली हिंसा से जुड़े कथित बड़े षड्यंत्र के मामले में शामिल लगभग एक दर्जन लोगों में शामिल हैं।



इमाम और खालिद को भड़काऊ भाषणों के संबंध में आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस के अनुसार, फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा भड़क उठी थी, क्योंकि सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) समर्थक और विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुई थीं।

हिंसा में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई और 700 से अधिक घायल हो गए थे।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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