पारिवारिक अदालत से की जाती है विवाद सुलझाने की उम्मीद : हाईकोर्ट

Last Updated 25 Jan 2022 05:17:51 AM IST

हाईकोर्ट ने कहा कि एक परिवारिक अदालत से मामले को सुलझाने की उम्मीद की जाती है और और सिर्फ मामले को निपटाने के लिए याचिका को खारिज करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।


दिल्ली हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि जब दोनों पक्ष आपसी विवाद निपटाने के लिए समय मांग रहे हैं तो उन्हें समय प्रदान करना चाहिए। उसे पक्षकार के आवेदन को निरस्त कर उनके तलाक के मामले को आपसी सहमति से सुलझाने के रास्ते बंद नहीं करना चाहिए।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने इसके साथ ही पारिवारिक कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया। पीठ ने कहा कि अदालत का प्रयास केवल मामलों को निपटाने से नहीं होना चाहिए।

उसने स्पष्ट किया कि अदालत का प्रयास न्याय के कारण का त्याग करने की कीमत पर एक तरह से या किसी अन्य मामलों को निपटाने के लिए नहीं हो सकता। परिवार न्यायालयों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस प्रकार कार्य करें जिससे संभव हो तो समझौता किया जा सके।

इस मामले में पक्षकार स्वयं बातचीत कर मामला सुलझाना चाहता था और इसके लिए समय की मांग कर रहे थे।  परिवारिक अदालत का उनके अनुरोध को अस्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने अपीलकर्ता के साक्ष्य पेश कर अपने तलाक के मामले को आगे बढ़ाने का अधिकार बंद कर दिया।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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