फ्लाईओवर निर्माण, नगर निगम ने बिना अनुमति खर्च किए 10 करोड़ रुपए : आप

Last Updated 07 Mar 2021 07:46:12 PM IST

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के रानी झांसी फ्लाईओवर के निर्माण में 546 करोड़ के घोटाला का आरोप लगाया है। आप के मुताबिक 175 करोड़ के इस फ्लाईओवर को नगर निगम ने 724 करोड़ में बनाया है।


आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक (file photo)

वहीं दिल्ली सरकार ने 302 करोड़ के शास्त्री पार्क फ्लाईओवर को लगभग ढाई सौ करोड़ में बनाया। एमसीडी की ऑडिट रिपोर्ट पेश करते हुए आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने कहा, "निगम में लगभग 10 करोड़ रुपए बिना किसी अनुमति के खर्च किए। दिल्ली सरकार ने पिछले 10 फ्लाईओवर के निर्माण में लगभग 508 करोड़ बचाए हैं। मैं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को चुनौती देता हूं वो इस रिपोर्ट को खुद मीडिया के सामने पढ़कर दिखाएं।"

दुर्गेश पाठक ने कहा, इस फ्लाईओवर के निर्माण का निर्णय 1995 में लिया गया था, लेकिन यह फ्लाईओवर 2018 में बनकर तैयार हुआ। इस अनुसार इस फ्लाईओवर को बनने में लगभग 24 साल लग गए। जब इस फ्लाईओवर के निर्माण का फैसला लिया गया तो इसके टेंडर की लागत 175 करोड़ तय की गई, लेकिन इसे बनने में 724 करोड़ रुपए लगे।



एमसीडी की ऑडिट रिपोर्ट पेश करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा, "इसमें 70 आपत्तियां जताई गई हैं। लगभग लगभग हर पन्ने पर एक से ज्यादा आपत्ति जताई गई है। सबसे पहली आपत्ति यह है कि जब कोई सरकारी निर्माण होता है तो वह सरकारी निर्माण किस जगह होगा, उसकी जमीन कहां होगी, तो उस जमीन के अधिकरण के लिए एक खास सरकारी एजेंसी होती है। दुर्भाग्य से या यूं कहें कि ज्यादा समझदारी के कारण रानी झांसी फ्लाईओवर की जमीन का अधिकरण किसी सरकारी एजेंसी ने नहीं किया, बल्कि नेता और जो लोकल इंजीनियर थे, उन्होंने बैठकर एक-एक व्यक्ति के साथ व्यक्तिगत रूप से डील किया।"

दुर्गेश पाठक ने कहा, "दूसरी आपत्ति यह है कि इस जमीन के बीच में एक धार्मिक स्थान था जो कि सरकारी जमीन पर बना हुआ था। जब उसका अधिकरण किया गया तो उसके लिए अभिषेक गुप्ता नाम के एक व्यक्ति को 26 करोड़ रुपए दिए गए। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार इस अभिषेक गुप्ता की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है और न ही ये जमीन किसी अभिषेक गुप्ता की थी। असल में ये जमीन सरकारी थी। जब यह जमीन सरकार की थी तो यह 26 करोड़ रुपए अभिषेक गुप्ता को क्यों दिए गए, इसकी कोई जानकारी नहीं है। तो 26 करोड़ एक ऐसे व्यक्ति को दे दिए गए जिसका कोई अता-पता ही नहीं है और न ही वह ढूंढने से मिल रहा है और ना ही यह जमीन उसकी है।"

दुर्गेश पाठक ने कहा, "तीसरी आपत्ति लगभग 10 करोड़ का घोटाला है। आमतौर पर जब आप किसी योजना पर काम करते हैं तो 5-10 हजार के छोटे मोटे खचरें की एंट्री की जाती है, उसकी अनुमति ली जाती है। यहां लगभग 10 करोड़ रुपए बिना किसी अनुमति के खर्च कर दिए। इतनी बड़ी रकम के लिए न किसी अधिकारी की मंजूरी ली गई न किसी एजेंसी की मंजूरी ली गई।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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