दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर 'बहुत खराब' श्रेणी में गई, पराली जलाने की भागीदारी 40 फीसदी
राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता मंगलवार को फिर से ‘बहुत खराब‘ श्रेणी में चली गई है। इसमें पिछले 24 घंटे के दौरान मामूली सुधार दर्ज किया गया था।
![]() |
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को तेज हवा चलने से प्रदूषकों के छितराव में मदद मिली थी और वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ था। रात की स्थिर स्थितियों के कारण प्रदूषक जमा हो गए।
शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह 10 बजे 332 दर्ज किया गया। 24 घंटे का औसत एक्यूआई 293 था जो ’खराब’ श्रेणी में आता है।
रविवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 364 था। दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषक कणों में पराली जलाने की भागीदारी 40 प्रतिशत रही।
Delhi: Air quality in 'very poor' category at Anand Vihar; visuals from the nearby area of Gazipur pic.twitter.com/I7cvbfdjIm
— ANI (@ANI) November 3, 2020
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा‘, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक‘, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम‘, 201 और 300 के बीच ‘खराब‘, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब‘ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर‘ माना जाता है।
दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी पण्राली ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रविवार को आग की घटनाएं बड़े पैमाने पर देखी गईं। इसका प्रभाव मंगलवार और बुधवार को दिल्ली-एनसीआर और उत्तर पश्चिम भारत की वायु गुणवत्ता पर पड़ने की आशंका है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी ‘सफर’ के अनुसार, सोमवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत थी। यह रविवार को 40 फीसदी पहुंच गई थी जो इस मौसम में सबसे ज्यादा है।
दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी शनिवार को 32 प्रतिशत, शुक्रवार को 19 फीसदी और गुरूवार को 36 प्रतिशत थी।
‘सफर’ के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल एक नवंबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत थी जो सबसे ज्यादा थी।
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, मंगलवार को हवा की दिशा मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी थी और अधिकतम गति आठ किलोमीटर प्रति घंटे की थी। शहर में न्यूनतम पारा 10 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो इस मौसम में सबसे कम है।
हल्की हवाओं और कम तापमान के कारण प्रदूषक जमीन के निकट रहते हैं, जबकि वायु की अनुकूल रफ्तार के कारण इनके बिखराव में मदद मिलती है। प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए दिल्ली सरकार ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के 2018 के फैसले के मुताबिक दिल्ली में सिर्फ ‘‘ग्रीन पटाखे’’ बनाने, बेचने और इस्तेमाल करने की इजाजत है।
| Tweet![]() |