रेनकोट व हेलमेट पहन कोरोना से जंग लड़ने को मजबूर डॉक्टर

Last Updated 03 Apr 2020 10:34:44 AM IST

कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी सामान की कितनी कमी है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कुछ डॉक्टरों और करीब 765 से अधिक फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोरोना संक्रमितों के इलाज करने के दौरान रेनकोट और हेलमेट का उपयोग करना मजबूरी बन गया है।


केविड –19 के संक्रमित मामलों की संख्या बढ़ने के बाद इन जरूरी सामानों की कमी देश के सरकारी हेल्थ सिस्टम की कमजोर स्थिति और अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता को बयां करती है। दिल्ली सरकार के सरदार पटेल अस्पताल‚ जीटीबी‚ ड़ीड़ीयू‚ ड़ॉ. अंबेड़कर हास्पिटल के हालात कुछ ऐसे ही नजर आए।

किट का अभाव बढ़ा रहा तनावः कई कोरोना संदिग्धों और पोजिटिव मरीजों ने संसाधनों की कमी को लेकर सवाल भी किए। प्रशासनिक संवेदनहीनता के चलते अब तक एम्स‚ दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट‚ सफदरजंग‚ आरएमएल अस्पताल के करीब दो दर्जन से अधिक ऐसे ड़ॉक्टर व पैरामेडि़कल स्टाफ हैं जिन्हें क्वारंटीन रखा गया है। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की कमी की वजह से तो सात ड़ॉक्टर कोरोना पोजिटिव हो चुके हैं। प्रशासनिक संवेदनहीनता की यह कमी दरअसल‚न सिर्फ दिल्ली में है बल्कि पूरे देश में देखी जा रही है। यही नहीं जानकारी के अनुसार चाइना समेत अन्य दुनियाभर में महामारी का दंश झेल रहे देशों में फैलाव की अन्य कई वजहों में से एक वजह गुणवत्तापूर्ण पीपीई संसाधनों की कमी रही है॥।

क्या है पीपीईः व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पर्सनल प्रोटेटिक्टव इक्यूवपमेंट (पीपीई) कोरोना वायरस समेत अन्य प्रकार के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करते हैं। पीपीई की खास यह है कि यह संक्रमित व्यक्ति का उपचार करने के दौरान यदि कोई भी शख्स तीन फीट की दूरी या फिर पास में रहता है तो उसे पहनना अनिवार्य है। इसके साथ ही एन ९५ मास्क जो उनकी नाक‚मुंह और ठोड़़ी को कवर करने के साथ ही फेफेड़़ों के जरिए शरीर में स्वच्छ आक्सीजन की आपूर्ति करने में मदद करते हैं। आई प्रोटेक्टर भी जरूरी है। स्वास्थ्य अधिकारी ने कहाकि यह एक प्रकार का सिलिकॉन मेड़ प्रोटेक्टिव सूट्स‚ शरीर को पूरी तरह से ढक देता है। इसके अलावा मास्क‚ग्लब्स‚ सेनिटाइजर की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है॥।

डॉक्टरों को संक्रमण का खतराः कोरोना पीडि़तों का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने इस संवाददाता को बताया कि वे काफी चिंतित हैं कि कहीं‚ मास्क और पीपीई के कवर के बिना उन्हें भी संक्रमण न हो जाए। सुरक्षा उपकरणों की कमी से तनाव बढ़ता ही जा रहा है। लोग कोरोना पेशेंट को देखने में इन उपकरणों की कमी की वजह से देखने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। ड़ॉक्टर ने कहा कि एक दिन ड़्यूटी के दौरान दिन भर में हमें कम से कम चार मास्क की जरूरत पड़़ती है दरअसल‚ एक मास्क एक्सपायरी टाइम पहनने के बाद ४–६ घंटे हैं। इसके बाद इसे स्पेशल डि़स्ट्रक्शन पैकेजिंग में नष्ट किया जाता है। चिंता वाले तथ्य यह हैं जो मरीजों को इन सुरक्षा कवच को पहन कर उपचार करते हैं उनसे ज्यादा संक्रमण फैलने का खतरा फ्रंट लाइन वर्कर्स को रहता है॥।

एक लाख तक लोग हो सकते हैंसंक्रमित: एक अनुमान के अनुसार‚ मई के मध्य तक देश में एक लाख से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी सुरक्षा उपकरणों की कमी को लेकर डॉक्टर काफी तनाव में हैं। कई जूनियर ड़ाक्टर और सीनियर्स ने इलाज करने से कन्नी काट ली और वे मेडि़कल पर भी चले गए हैं। इन डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनके पास पर्याप्त सुरक्षा उपकरण न होंगे वह इलाज नहीं करेंगे। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं की निदेशक ने कहा कि स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर बनाया जा रहा है। मांग के अनुसार हम पीपीई किट उपलब्ध कर रहे हैं।
 

सहारा न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली


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