दिल्ली विधानसभा ने एनपीआर, एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया
दिल्ली विधानसभा ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ शुक्रवार को प्रस्ताव पारित किया।
![]() मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) |
प्रस्ताव में केंद्र से अपील की गई है कि वह ‘‘खासकर कोरोना महामारी के बढते खतरे, बेरोजगारी बढने और अर्थव्यवस्था की खराब होती हालत के बीच देश हित में’’ एनआरसी और एनपीआर की पूरी प्रक्रिया को आगे नहीं बढाएं और इसे वापस लें।
इसमें कहा गया है कि यदि ‘‘भारत सरकार को इसके साथ आगे बढना है’’ तो केवल एनपीआर को उसके 2010 के प्रारूप में ही आगे बढाया जाना चाहिए और इसमें कोई नया प्रावधान शामिल नहीं करना चाहिए।
एनपीआर और एनआरसी पर चर्चा के लिए बुलाए गए एक दिवसीय विशेष सत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र से इन्हें वापस लेने की अपील की।
केजरीवाल ने सवाल किया, ‘‘मेरे, मेरी पत्नी, मेरे पूरे कैबिनेट के पास नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। क्या हमें निरोध केंद्र भेजा जाएगा?’’
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों से कहा कि वे दिखाएं कि क्या उनके पास सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र हैं?
केजरीवाल ने विधानसभा में विधायकों से कहा कि यदि उनके पास जन्म प्रमाण पत्र हैं, तो वे हाथ उठाएं। इसके बाद दिल्ली विधानसभा के 70 सदस्यों में से केवल नौ विधायकों ने हाथ उठाए।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सदन में 61 सदस्यों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं। क्या उन्हें निरोध केंद्र भेजा जाएगा?’’
उन्होंने दावा किया कि यदि एनपीआर को अगले महीने से लागू किया जाता है तो केवल मुसलमान ही नहीं, बल्कि वे हिंदू भी प्रभावित होंगे जिनके पास सरकारी एजेंसी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यदि आप मुसलमान हैं और आपके पास दस्तावेज नहीं हैं, तो आपको निरोध केंद्र भेजा जाएगा। यदि आप पाकिस्तान के हिंदू हैं तो आपको नागरिकता दी जाएगी। यदि आप भारतीय हिंदू हैं और आपके पास दस्तावेज नहीं है, तो आपको भी निरोध केंद्र भेजा जाएगा।’’
उन्होंने दावा किया कि एनपीआर प्रक्रिया में आधार कार्ड और मतदाता प्रमाण पत्र स्वीकार नहीं किए जाएंगे, केवल सरकारी एजेंसी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र ही स्वीकार्य होंगे।
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