शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों के साथ तीसरे दिन भी वार्ता विफल

Last Updated 22 Feb 2020 12:29:57 AM IST

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ शाहीन बाग में 70 दिन से विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों को कालिंदी कुंज मार्ग से हटाने को लेकर शुक्रवार को भी वार्ता विफल रही।


शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों के साथ वार्ता

एक महिला प्रदर्शनकारी ताबिश खान ने यूनीवार्ता से कहा कि वार्ताकारों को कल बताया गया कि पुलिस ने ही कई जगहों से मार्ग को बंद कर रखा था। नोएडा में महामाया फ्लाइओवर के पास आज कुछ देर के लिए सड़क को खोला गया और फिर बंद कर दिया गया। पुलिस ने जानबूझकर सड़कों को बंद कर रखा है। प्रदर्शनकारी तो थोड़े से हिस्से में बैठे हैं।

श्रीमती खान ने कहा कि अगर यहां से उठकर चले गए तो उनकी फिर कोई नहीं सुनेगा। कानून वापस लिये जाने से पहले सड़क से हटने का कोई सवाल नहीं है।

वार्ताकारों की ओर से एक सड़क खोलने की बात पर ताबिश ने कहा कि पुलिस की सुरक्षा पर उन्हें भरोसा नहीं है। हमारे बच्चों को मारने वाले और लड़कियों को जामिया में प्रताड़ित करने वाले भी वही हैं। पुलिस की मौजूदगी में गार्गी कालेज में बेटियों के साथ जो हुआ उससे पुलिस पर से भरोसा उठ गया। उन्होंने कहा कि अदालत को पहले सीएए पर बात करनी चाहिए लेकिन वह सड़क खुलवाने पर बात कर रही है, जो समझ से परे है। सीएए की वापसी सब समस्याओं का समाधान है।

एक अन्य प्रदर्शनकारी उज्मा ने कहा उनके लिए कोई हमदर्दी नहीं है। इतने दिनों से हमलोग यहां सड़कों पर दिनरात बैठे है लेकिन किसी ने आज तक सुध नहीं ली है। उन्होंने कहा कि हर हाल में सीएए वापस करना होगा उसके बाद ही सड़क खाली की जाएगी।

एक अन्य महिला ने कहा कि सड़क बंद है इसलिए लोग बात करना चाहते है। अगर सड़क को ही खाली कर दिया गया तो इस काले कानून पर सुनवाई नहीं होगी। यहां अपने वजूद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं इसलिए खाली हाथ नहीं जा सकते।

उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त वार्ताकार वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने आज शाम तीसरे दिन प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू की। वार्ताकार लोगों को कालिंदी कुंज सड़क से हटकर किसी दूसरी जगह प्रदर्शन करने की सलाह दे रहे हैं लेकिन लोग सीएए वापसी से पहले यहां से हटने को तैयार नहीं है।

प्रदर्शनकारियों की मांगों को देखते हुए वार्ताकारों ने मीडिया के सामने ही बातचीत शुरू की।

श्री हेगड़े ने कहा कि "उन्होंने उन बंद सड़कों को देखा है और आपलोगों ने जो कहा है वह सही है। कई सड़कें खुली है जिसे पुलिस ने बंद कर रखा है। मैं बहुत आश्चर्यचकित हूँ कि सुबह में नोएडा-फरीदाबाद मार्ग को कुछ देर के लिए खोला गया और फिर उसे पुलिस द्वारा बंद कर दिया गया। जिसने भी ऐसा किया उसे सुप्रीम कोर्ट को जवाब देना होगा।"

श्री हेगड़े ने कहा कि आप लोगों की ओर से जो निर्णय होगा वह अदालत के सामने रख दिया जाएगा। उसके बाद अदालत इस मामले में निर्णय लेगा।
श्रीमती रामचंद्रन ने कहा कि अपना फैसला खुद करें किसी और को अपना फैसला नहीं करने दें। हम सरकार की ओर से नहीं, अदालत की तरफ से आये हैं और सोच समझकर फैसला आपको करना है।

प्रदर्शनकारी एक महिला ने बताया कि यहां कुछ लोग माहौल को खराब कर रहे हैं और ऐसे लोग नहीं चाहते हैं कि बातचीत सही ढंग से हो। बातचीत के बीच ही कुछ लोग नारेबाजी करने लगे। उसके बाद वार्ताकार चले गए।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को वहां से हटने को राजी कराने के लिए सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को वार्ताकार नियुक्त किया तथा मामले की सुनवाई 24 फरवरी तक के लिए टाल दी थी।



गौरतलब है कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ इस प्रदर्शन की वजह से दक्षिणी दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाली कालिंदी कुंज सड़क दो महीने से अधिक समय से बंद है जिससे स्थानीय लोगों समेत यहाँ से गुारने वाले राहगीरों को आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

वार्ता
नयी दिल्ली


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