‘84 दंगा : संलिप्त पुलिस अफसरों पर होगी कार्रवाई
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि धींगरा समिति की सिफारिश के अनुसार 1984 दंगों में संलिप्त पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
![]() जस्टिस एसएन धींगरा का फाइल फोटो |
दिल्ली हाईकोर्ट के रिटार्यड जज जस्टिस शिवनारायण धींगरा ने सिख विरोधी दंगों के 186 मामलों की जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि 20-25 साल पहले जिन मुकदमों में अभियुक्तों को बरी कर दिया गया है उनमें अपील दायर करने से कोई लाभ नहीं होगा। ट्रायल कोर्ट का रिकार्ड सात से दस साल तक हिफाजत से रखा जाता है। उसके बाद उसे नियमों के अनुसार नष्ट कर दिया जाता है। बहुत से मामलों में अभियुक्त जिंदा भी नहीं बचे। कई मामलों में गवाह भी इस दुनिया भी नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि धींगरा समिति की सिफारिशें स्वीकार कर ली गई हैं और वह कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करेगी। चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस भूषण गवई और सूर्यकांत की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस सूरी ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों की भूमिका की निंदा की है। उन्होंने कहा कि वह 1984 के सिख विरोधी दंगों में कथित रूप में संलिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अर्जी दायर करेंगे।
केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि उन्होंने इस रिपोर्ट में की गई सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं और इस मामले में उचित कदम उठाएंगे। मामले की सुनवाई के दौरान सूरी ने एसआईटी की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि ऐसी सोच है कि जो कुछ भी हुआ था उसके लिए पुलिस अधिकारी बच नहीं सकते। सूरी ने कहा कि रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कुछ न कुछ कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि इसमे उनकी मिलीभगत थी। यह पुलिस अधिकारी बचने नहीं चाहिए। हम इस रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करेंगे। मेहता ने अदालत को बताया कि इन मामलों के रिकार्ड सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के पास हैं और उन्हें सीबीआई को लौटा देना चाहिए ताकि आगे कार्रवाई की जा सके। अदालत ने निर्देश दिया कि ये रिकार्ड गृह मंत्रालय को सौंप दिए जाएं।
जस्टिस धींगरा की अध्यक्षता वाली एसआईटी में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी राजदीप सिंह और वर्तमान आईपीएस अधिकारी अभिषेक दुलार भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी, 2018 को एसआईटी का गठन किया था जिसे उन 186 मामलों में आगे जांच करनी थी जिन्हें पहले बंद कर दिया गया था। जांच दल में इस समय सिर्फ दो सदस्य हैं क्योंकि राजदीप सिंह ने व्यक्तिगत कारणों से इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया थार्।
दंगे के कई अभियुक्तों को सजा सुना चुके हैं धींगरा
दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नति से पहले टाडा की विशेष अदालत के न्यायाधीश के रूप में एसएन धींगरा ने 1984 दंगों के बहुत सारे अभियुक्तों को सजा सुनाई थी।
कड़कड़डूमा कोर्ट के विशेष न्यायाधीश के तौर पर त्रिलोकपुरी और कल्याणपुरी में हुए नरसंहार के कुछ अभियुक्तों को फांसी की सजा भी सुनाई थी। बाद में फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद में तब्दील कर दिया था। जज धींगरा ने दंगों की जांच के लिए गठित विभिन्न समितियों और आयोगों की जांच रिपोर्ट के अलावा दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी के अखबारों की रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया था। अखबारों ने दंगों में पुलिस की संलिप्तता को रेखांकित किया था।
क्या था मामला
तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके दो सुरक्षा कर्मियों द्वारा गोली मार कर हत्या किए जाने के बाद दिल्ली सहित देश के अनेक हिस्सों में बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे हुए थे। इन दंगों में अकेले दिल्ली में 2733 व्यक्तियों की जान चली गई थी।
| Tweet![]() |