नहीं दी जा सकती सीएनजी वाहनों को सम-विषम से छूट
दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह सीएनजी वाहनों को सम-विषम योजना से छूट नहीं दे सकता, क्योंकि उनकी संख्या दिल्ली में काफी है।
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उनको योजना से छूट देने पर ट्रैफिक जाम की समस्या होगी और प्रदूषण में इजाफा होगा। उसने दो पहिया वाहनों को योजना से छूट के पीछे पब्लिक ट्रासपोर्ट पर असर होना बताया है तथा महिलाओं को छूट देने के पीछे उनकी सुरक्षा बताया है। सरकार ने हाईकोर्ट को यह जानकारी हलफनामा दाखिल कर दी है।
सीएनजी वाहनों को योजना से छूट दिए जाने को लेकर भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग ने फिर से याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 22 अक्टूबर को उस योजना को कई आधार पर चुनौती देने वाले सभी याचिकाओं को निपटा दिया था और सरकार से कहा था कि वह इसे प्रतिवेदन समझते हुए उचित निर्णय करे।
सरकार ने दोपहिया वाहनों को सम-विषय योजना से छूट देने के पीछे पब्लिक ट्रासपोर्ट की कमी होना बताया है। सरकार ने कहा है कि उनकी संख्या कुल वाहनों की 66 फीसद है और उन्हें योजना से छूट नहीं दी जाती तो लोगों को काफी परेशानी होगी। क्योंकि इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए राजधानी की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। उसने महिलाओं को योजना से छूट देने के पीछे सुरक्षा का कारण बताया है। सरकार ने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें उस योजना से छूट दी गई है।
एक याचिकाकर्ता संजीव कुमार ने कहा था कि महज वोट बैंक की राजनीति के लिए यह योजना लायी गई है और प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर करोड़ों रुपए विज्ञापन पर खर्च किए गए हैं। उसमें कारण और उपचार में पूरी तरह विरोधाभास है। एक अन्य याचिकाकर्ता शात भारद्वाज ने योजना में लिंग भेद का आरोप लगाया था और कहा था कि योजना में महिलाओं को छूट देकर सरकार ने समानता के अधिकार का हनन किया है, जबकि यह मौलिक अधिकार है। उन्होंने न्यायाधीशों, सांसदों, मंत्रियों व विभिन्न वैधानिक निकायों के प्रमुखों को इस योजना से दी गई छूट पर सवाल खड़ा किया था। तीसरी याचिका संतोष गुप्ता ने दाखिल की थी। उन्होंने कहा था कि सीएनजी वाहनों को भी इस योजना से छूट दी जाए क्योंकि यह ज्यादा प्रदूषण नहीं करता है।
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