अब दिल्ली में भी भ्रष्ट अफसर होंगे बाहर, सीएम केजरीवाल ने सूची तैयार करने का दिया निर्देश
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जबरन सेवानिवृत्ति देने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के साथ शनिवार को बैठक की।
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ भी इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की है। चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ने सभी कैबिनेट सदस्यों को अपने-अपने विभागों में ऐसे अफसरों एवं कर्मियों की एक सूची तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि उन्हें जबरन सेवानिवृत्त किया जा सके। यह सेंट्रल सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स, 1972 के फंडामेंटल रूल 56 (जे) के तहत ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने की केंद्र सरकार की पहल के तर्ज पर होगा। केंद्र कुछ अधिकारियों को हाल ही में सेवानिवृत्त कर चुका है।
अरविंद केजरीवाल ने बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल के दौरान ही भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना इरादा दिखा दिया था, जब उन्होंने 2013-14 में अपने 49 दिनों की सरकार के दौरान भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई का आदेश दिया था। उस कार्यकाल के दौरान भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों में खौफ पैदा हो गया था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वर्तमान कार्यकाल में भी दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों के प्रति पूरी तरह से कठोर रही है।
सरकार का ऐसा मानना है कि ऐसे अधिकारी दिल्ली के लोगों के लिए बनाई जाने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को बर्बाद करते हैं और जनता के हक के पैसों से अपना घर भरते हैं। पिछले साढ़े चार वर्षो के दौरान दिल्ली सरकार के संज्ञान में ऐसे कई अधिकारी आए, जिन्होंने जनता के हित की लोक कल्याणकारी नीतियों का विरोध किया और दिल्ली के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाया। दिल्ली सरकार के पास अब एंटी करप्शन ब्यूरो जैसी एजेंसियां भी नहीं हैं, इसलिए दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों को केवल उप-राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है।
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