कन्हैया कुमार मामले में पुलिस की भूमिका पूरी : अदालत
अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 10 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाए जाने के मामले में पुलिस की भूमिका को समाप्त मानते हुए कहा है कि अब वह इस बाबत दिल्ली सरकार से जवाब तलब करेगी।
अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार (file photo) |
पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सेहरावत ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 3 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के उपायुक्त प्रमोद कुशवाहा ने अदालत में पेश होकर कहा कि आरोप पत्र पर मंजूरी देना प्रशासनिक कार्रवाई है और उसके बिना भी आरोप पत्र दाखिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आरोप पत्र दाखिल होने के पहले ही दिन 14 जनवरी को आरोप पत्र पर मंजूरी देने के लिए सरकार को पत्र लिख दिया गया था। इसके बाद भी वह दो बार सरकार को पत्र खिल चुके हैं। इसके बावजूद सरकार से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। यह मामला सरकार के विधि विभाग के पास लम्बित है। वह आरोप पत्र पर मंजूरी के लिए सरकार के संपर्क में हैं। अदालत ने फिर इस मामले में उनकी भूमिका को समाप्त माना और अगली कार्रवाई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। गौरतलब है कि उपायुक्त को अदालत ने 29 मार्च को तलब कर लिया था।
पुलिस ने 11 मार्च को अदालत से कहा था कि दिल्ली सरकार की तरफ से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। सरकार से मंजूरी मिलने में दो से तीन महीने लग सकते हैं। पुलिस ने सभी के खिलाफ 14 जनवरी को आठ पन्नों क आरोप पत्र दाखिल किया था। उसमें उसने 90 गवाहों की सूची सौंपी है। इसके अलावा 50 पृष्ठ की सभी साक्ष्य व दस्तावेजों की सूची है। पूरे आरोप पत्र 12 सौ पन्ने का है। उसने सभी लोगों पर आरोप लगाया है कि आरोपियों ने संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर विविद्यालय में 9 फरवरी, 2016 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था और उसमें देश के खिलाफ नारे लगाए थे।
दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र में मुख्य आरोपी कन्हैया कुमार के अलावा पूर्व छात्र उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को भी आरोपी बनाया है। तीनों इस मामले में गिरफ्तार किए गए थे। इसके अलावा कश्मीरी छात्र आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट व बशरत को भी मुख्य आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने आरोप पत्र के कॉलम 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता डी. राजा की बेटी अपराजिता, जेएनयूएसयू छात्र संघ की तत्कालीन उपाध्यक्ष शहला राशिद, राम नागा व आशुतोष कुमार के अलावा बनोज्योत्सना लाहिरी सहित 36 अन्य लोगों नाम दिए हैं। उन लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे। आरोप पत्र भारतीय दंड संहित (आईपीसी) की धारा 124ए (राजद्रोह), 323 (किसी को चोट पहुंचाने), 465 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल करने), 143 व 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने), 147 (दंगा फैलाने ) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने) के तहत दाखिल किए गए हैं।
पुलिस ने लगभग 12 सौ पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है और उसमें साक्ष्य के तौर पर सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फोन के फुटेज और अन्य दस्तावेजी प्रमाण दिए हैं। पुलिस ने आरोप पत्र में कहा है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था। पुलिस ने भाजपा सांसद महेश गिरी व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में 11 फरवरी, 2016 को अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी में पहले आईपीसी की धारा 124ए तथा 120बी लगाई गई थी। एबीवीपी ने पुलिस को सौंपी गई शिकायत में कहा था कि आयोजन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाना है। इसके बाद विविद्यालय प्रशासन ने आयोजन की अनुमति रद्द कर दी थी। इसके बावजूद यह आयोजन किया गया था।
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