वायु प्रदूषण बढ़ा, केजरीवाल सरकार ने नियंत्रण बजट घटाया
राजधानी दमघोंटू प्रदूषण से अक्टूबर से लगातार जूझ रही है, लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार ने वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्धारित दस करोड़ के बजट में 25 फीसद की कटौती की है।
अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) |
वर्ष 2018-19 के बजट में दिसम्बर माह में रिवाइज्ड बजट बनाने का प्रावधान है जिसमें कई विभागों के बजट में बढ़ोतरी की गई है। लेकिन वायु प्रदूषण नियंत्रण मद में दस करोड़ का आवंटन किया गया था जिसे रिवाइज्ड बजट में 7.5 करोड़ रुपए कर दिया गया जो 25 फीसद की कटौती है। स्वच्छ भारत मिशन के लिए दिल्ली सरकार ने 40 करोड़ का आवंटन किया था जिसे घटाकर 30 करोड़ रुपए किया गया है।
यह कटौती तब की गई है जब राजधानी की हवा जहरीली हो चुकी है व लगातार चार दिनों से वायु प्रदूषण स्तर बेहद खराब श्रेणी में है। केजरीवाल ने मंगलवार को अपने बयान में वायु प्रदूषण कम करने के लिए केन्द्र सरकार को आगे आने को कहा। उन्होंने कहा कि हवा की कोई सीमा नहीं होती है। यानि उन्होंने दिल्ली में वायु प्रदूषण का ठीकरा पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों पर फोड़ा क्योंकि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने को दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण का कारण मानती है।
एम्स के निदेशक डा रणदीप गुलेरिया ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि बढ़ते प्रदूषण के कारण ास संबंधी रोगियों व हृदय रोगियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। एम्स में इस प्रकार के रोगियों की संख्या काफी बढ़ गई है। राजधानी में प्रदूषण स्तर गाड़ियों में सीएनजी लगने के पूर्व के स्तर से भी ज्यादा है। वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार जहां वायु प्रदूषण नियंत्रण बजट में 25 फीसद की कटौती की गई है वहीं ट्रांस यमुना बोर्ड के बजट में इसी रिवाइज्ड बजट में 52 करोड़ की बढ़ोतरी की है। मार्च महीने में पेश बजट 2018-19 में ट्रांस यमुना बोर्ड के लिए 48 करोड़ का आवंटन किया गया जिसे रिवाज्ड बजट में 100 करोड़ रुपए किया गया है। यानि ट्रांस यमुना बोर्ड के बजट में सौ फीसद से ज्यादा वृद्धि की गई है।
अनधिकृत कालोनियों के विकास के लिए 2018-19 के बजट में 795 करोड़ का आवंटन किया गया जिसमें दिसम्बर में कोई कमी या बढ़ोतरी नहीं की गई है।
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