और कितना नीचे गिर सकते हैं तिवारी : सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 23 Nov 2018 07:36:34 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के आचरण की तीव्र निंदा की लेकिन उन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी उनकी पार्टी पर छोड़ दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांसद के रूप में मनोज तिवारी ने बेहद गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया।


दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी (फाइल फोटो)

जस्टिस मदन लोकुर, एस अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि सांसद तिवारी के जहन में कानून का सम्मान करने की कोई जगह नहीं है। निगरानी समिति पर लगाए गए अनर्गल आरोपों से साफ है कि वह कितना नीचे गिर सकते हैं।
भाजपा नेता को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में उन्हें दंडित करने से तो बख्श दिया लेकिन गलत जगह साहस का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें फटकार लगाई। साथ ही अदालत ने कहा कि सीलबंद इमारत का ताला तोड़कर वह बिना किसी वजह से बागी बने।  

अदालत ने तिवारी के कदम पर अफसोस जताते हुए कहा कि सीलिंग पर अदालत द्वारा गठित निगरानी समिति के खिलाफ ओछे आरोप लगाकर उनका गलत जगह साहस का प्रदर्शन करना और छाती पीटना साफ संकेत देता है कि वह वह कितने नीचे जा सकते हैं और उन्होंने कानून के शासन के प्रति सम्मान के पूर्ण अभाव को प्रदर्शित किया। 
 अदालत ने कहा कि इस बात पर जरा भी संदेह नहीं है कि भाजपा सांसद तिवारी ने 16 सितंबर को पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के पशु चिकित्सा सेवा विभाग द्वारा एक इमारत पर लगाई गई सील को तोड़ा या उसके साथ छेड़छाड़ की। सुप्रीम कोर्ट उनके व्यवहार से दुखी है क्योंकि वह एक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। वह दिल्ली के जिम्मेदार नागरिक हैं। मनोज तिवारी का तीन अक्टूबर को सुनवाई के तुरंत बाद गलत जगह साहस का प्रदर्शन करना और अदालत द्वारा गठित निगरानी समिति के खिलाफ गंभीर लेकिन ओछे आरोप लगाना इस बात के स्पष्ट संकेत देता है कि मनोज तिवारी कितना नीचे जा सकते हैं और यह विधि के शासन के प्रति उनके पूर्ण तिरस्कार को दर्शाता है।

विवेक वार्ष्णेय/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment