आम आदमी पार्टी 'वर्जन-2' बनाएंगे कुमार, विश्वास ने कार्यकर्ताओं से किया संवाद
आप के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास ने रविवार को पार्टी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं के साथ संवाद स्थापित किया.
कुमार विश्वास ने कार्यकर्ताओं से संवाद किया. |
हालांकि कुमार के साथ पार्टी का कोई परिचित चेहरा नहीं दिखा. बमुश्किल दो सौ कार्यकर्ता ही कुमार से संवाद स्थापित करने पहुंचे थे. उन्होंने कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि वह 'बैक टू बेसिक' के मुद्दे पर काम करेंगे. उन्होंने ऐलान किया कि वह आम आदमी पार्टी 'वर्जन-2' बनाएंगे. हालांकि उन्होंने साफ किया कि 'वर्जन-2' का मतलब नई पार्टी नहीं है बल्कि इसका मतलब पार्टी को 'बैक टु बेसिक' पर लाना है. कुमार विश्वास ने रविवार को पार्टी ऑफिस में कार्यकर्ताओं से अलग-अलग ग्रुप में मुलाकात की. कई कार्यकर्ताओं ने विधायकों को लेकर अपनी शिकायत कुमार को बताई तो कुछ लोगों ने कहा कि पार्टी में आपसी मतभेद दूर होने चाहिए.
क्या था वर्जन-1? : सवाल पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि 'वर्जन-1 के दौरान जंतर-मंतर पर पार्टी की लॉन्चिंग हुई. हम लोगों ने तय किया कि सभी छोटे से छोटा फैसला कार्यकर्ता के बजाय मतदाता से पूछकर करेंगे, जब हमने टिकट देते वक्त पहली बार कार्यकर्ताओं को पंजीकृत किया, कार्यकर्ताओं की वोटिंग के आधार पर टिकट दिया. हमने कहा था कि कैरक्टर, क्रिमिनल बैकग्राउंड, करप्शन पर कोई समझौता नहीं होगा, हमने कहा था कि फैसलों में पारदर्शिता होगी.'
'वर्जन-2' का मतलब : कुमार ने कहा है कि 'वर्जन-2' का मतलब नई पार्टी बनाना नहीं है. 'वर्जन-2 का मतलब है इसमें कुछ एंटी-वाइरस लगाए जा रहे हैं. ऐंटी-वाइरस हैं कार्यकर्ताओं के. कार्यकर्ता सच-सच बताएंगे. कार्यकर्ता बताएंगे कि संगठन में कहां दिक्कत हो रही है और विधायक कैसा काम कर रहे हैं?'जब हम रामलीला मैदान से चले थे तो 5 लाख थे, इस बार जब हम रामलीला मैदान में थे तो पांच हजार कुर्सयिां थीं. पांच लाख से पांच हजार की यात्रा के बीच जो जनता हमसे छूटी है, वह वाइरस की वजह से छूटी है. कई वजहों से लोग नाराज हुए हैं.'
राज्यसभा का फैसला कार्यकर्ताओं का मन जानकर : एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि अगर पार्टी आगे बढ़ेगी तो राज्यसभा और लोकसभा पहुंचेगी, लेकिन पार्टी के सीनियर और योग्य लोगों की इसलिए राजनीतिक हत्या कर देना कि इनके मरने से रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन (आरएसी ) कन्फर्म होगी, तो ऐसे चेहरों को पहचानने की जरूरत है, जो जंतर-मंतर से लेकर रामलीला मैदान तक नहीं आए, पर सरकार बन गई तो आ गए. उन्होंने कहा कि राज्यसभा कौन जाएगा, इसके लिए कार्यकर्ताओं का मन जानकर सही समय पर फैसला लिया जाएगा.
हम साथ-साथ हैं.: क्या इस 'बैक टु बेसिक' के लिए अरविंद केजरीवाल साथ हैं, क्या वह भी चाहते हैं? इस सवाल पर कुमार विश्वास ने कहा कि पार्टी का आंदोलन केजरीवाल की 'स्वराज' किताब के अनुसार खड़ा हुआ तो वह क्यों नहीं चाहेंगे. कुमार ने कहा, 'भाषण में मैंने कहा था कि पहले देश को, फिर दल को और फिर नेता को रखो. अरविंद ने मेरे बाद अपने भाषण में इसे दोहराया.
क्या कपिल मिश्रा वापस आएंगे? : कपिल की वापसी को लेकर पूछे गए सवाल पर कुमार ने कहा कि 'कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की विधिक प्रक्रिया की वजह से बाहर गया है तो वह प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंदर आएगा. कोई अमानतुल्ला वाला केस नहीं है कि अचानक निकाल दिया और अचानक वापस ले लिया. पार्टी ऐसे नहीं चलेगी.'
उन्होंने कहा, 'कई लोग जो बाहर गए हैं, अंजलि दमानिया से लेकर सुभाष वारे तक और योगेंद्र यादव से लेकर प्रशांत भूषण तक, उनसे कार्यकर्ता अलग-अलग स्तर पर संवाद कर रहे हैं. हमसे भी कुछ गलतियां हुई होंगी तो उनके लिए हम हाथ जोड़कर माफी मांग रहे हैं.'
कुमार पर आप की नजर : कुमार द्वारा आयोजित कार्यकर्ता संवाद पर आप का शीर्ष नेतृत्व वेट एंड वच की मुद्रा में है. आप नेतृत्व फिलहाल विश्वास को मिलने वाले समर्थन का आंकलन कर रहा है. पार्टी मानकर चल रही है कि दो-तीन बैठकों के बाद विश्वास की संवाद की हवा निकल जाएगी. यही वजह रही कि रविवार की बैठक पर पार्टी का कोई नेता औपचारिक स्तर पर बात करने को तैयार नहीं दिखा. बस इतना भर बताया गया कि विश्वास आप की पीएसी के सदस्य हैं. वह पार्टी दफ्तर आने के साथ कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी कर सकते हैं. इसमें ऐसा कुछ भी नहीं, जिसे पार्टी के खिलाफ माना जाए.
पार्टी सूत्र बताते हैं कि जून महीने में आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विश्वास को पार्टी नेतृत्व के साथ चलने को कहा गया था. बैठक में कुमार विश्वास के अलावा 36 में से 35 सदस्यों ने विश्वास की दलीलों से राजी नहीं थे. उनसे सिर्फ राजस्थान पर फोकस करने को कहा गया था. सूत्रों की मानें तो शुरुआती कुछ दिनों तक ठीक रहा, लेकिन विश्वास दोबारा सार्वजनिक फोरम पर दूसरे वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ तंज कस रहे हैं.
हालांकि, पार्टी मान रही है कि विश्वास के कार्यकर्ता संवाद सम्मेलन में दो-तीन बैठकों के बाद न तो इसमें मीडिया की दिलचस्पी रहेगी और न ही कार्यकर्ताओं की भी.
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