सीबीआई ने रिश्वत लेते आयकर उपायुक्त को किया गिरफ्तार

Last Updated 17 Apr 2015 06:37:52 AM IST

सीबीआई ने केंद्रीय राजस्व भवन कार्यालय में आयकर विभाग के एक उपायुक्त को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया.


रिश्वत लेते आयकर उपायुक्त गिरफ्तार

अधिकारी को एक उद्योगपति से कर मामले का निपटारा करने के बदले में कथित रूप से डेढ़ लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी एम. लोगापति, एक कथित बिचौलिये हितेश कुमार, लोगापति के निजी सहायक अभिषेक कुमार और व्यवसायी विकास सिंगला को रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया गया है. लोगापति यहां आयकर उपायुक्त के तौर पर पदस्थापित हैं.

सूत्रों ने कहा कि चारों को बुधवार रात हिरासत में लिया गया और सघन जांच एवं जब्ती कार्रवाई के बाद बृहस्पतिवार को उन्हें गिरफ्तार किया गया. जांच के दौरान सीबीआई ने रिश्वत की रकम बरामद कर ली. उन्होंने दावा किया कि एजेंसी ने लोगापति से करोड़ों रुपए की संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए हैं जो ऐसे कई अन्य मामलों में उनकी कथित संलिप्तता को दर्शाता है. संदेह है कि कर मामलों के समाधान के लिए वह कर का एक फीसदी कमीशन के तौर पर ले रहे थे.

सूत्रों ने बताया कि एक कथित कर अपवंचना मामले में सीबीएस स्टील प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विकास सिंगला ने वकील हितेश कुमार के माध्यम से लोगापति को डेढ़ लाख रूपये रिश्वत दी.

सूत्रों ने बताया कि कुमार और लोगापति पर पिछले कुछ समय से नजर रखी जा रही थी और फोन इंटरसेप्टर एवं अन्य माध्यमों से उनकी बातचीत सुनकर उन पर निगरानी रखी जा रही थी.

सूत्रों ने बताया कि एजेंसी की कई टीमों ने खुद को करदाता एवं अन्य महत्वहीन व्यक्ति के रूप में आईटीओ स्थित सीआर भवन की सुरक्षा को चकमा दिया ताकि लोगापति के कार्यालय के बाहर मौजूद रहें. उन्होंने कहा कि टीम को संकेत मिले कि कुमार रिश्वत के धन के साथ अधिकारी के कार्यालय में प्रवेश कर रहा है और बिना धन के लौट गया.

जब टीम ने उसे पकड़ा तो उसने स्वीकार कर लिया कि रिश्वत दी गई है. सीबीआई के सूत्रों ने दावा किया कि एजेंसी की टीम हरकत में आई और अधिकारी के कार्यालय पर छापेमारी की और उससे रिश्वत की रकम बरामद कर ली जबकि शेष राशि उसके निजी सहयोगी अभिषेक कुमार से बरामद की गई.

सूत्रों ने कहा कि बाद में खोज अभियान के दौरान कुमार, सिंगला और हितेश कुमार को भी गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि एजेंसी को अभिषेक कुमार जैसे अनधिकृत लोगों की उपस्थिति के बारे में पता चला जो अधिकारी का निजी सहायक था और उसे सरकार या विभाग की तरफ से प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर भुगतान नहीं किया जाता था.

सीबीआई के एक अधिकारी ने दावा किया, ‘ये लोग अपना वेतन अधिकारियों को मिलने वाले अवैध रिश्वत में हिस्से के तौर पर लेते थे. हमने पाया कि ये सहायक अधिकारियों के निजी कर्मचारी की तरह हैं और कार्यालय में उनकी उपस्थिति सामान्य बात है.’’

उन्होंने कहा कि आयकर विभाग को अनुशंसा की जा सकती है कि वह अपने अधिकारियों को निर्देश दे कि कार्यालय भवन में इस तरह के निजी कर्मचारियों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाए जहां कराधान जैसे संवेदनशील काम होते हैं.



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