Madhya Pradesh के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे का BJP से क्यों हुआ मोहभंग?

Last Updated 05 May 2023 04:53:03 PM IST

मध्यप्रदेश विधान सभा का चुनाव इसी वर्ष के दिसंबर तक होने की उम्मीद है। सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में लग गई हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और कभी कांग्रेस के कदावर नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो इस समय भाजपा में हैं, दोनों के बीच जुबानी जंग खूब देखने को मिल रही है।


मध्यप्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे कैलाश जोशी उनके बेटे दीपक जोशी

इसी बीच भाजपा का एक पुराना किला ढहता हुआ दिख रहा है। कभी मध्यप्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने भाजपा छोड़ने का एलान कर बीजेपी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। उन्होंने जो दावे किए हैं उसके मुताबिक़ शनिवार यानी 6 मई को वो पूरी तरह से कांग्रेसी हो जाएंगे।

अब सवाल यह पैदा हो रहा है कि उनका भाजपा से मोहभंग क्यों हो गया? जिस पार्टी से उनके पिता आजीवन जुड़े रहे,आखिर ऐसी क्या बात हो गई कि आज उनके बेटे को उस पार्टी से नफरत हो गई? दरअसल कांग्रेस ने इस बार कहा है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो कैलाश जोशी के नाम से कई योजनाओं की शुरुवात की जाएगी। हालांकि यह कांग्रेस का प्रलोभन हो सकता है, लेकिन यह प्रलोभन दीपक को ऐसे ही नहीं भा रहा है। दीपक जोशी को ऐसा लगता है कि  भाजपा ने उनके पिता की हमेशा उपेक्षा की है। वैसे मध्यप्रदेश के लोग भी जानते हैं कि जिस कद के नेता कैलाश जोशी रहे, उन्हें उस कद के मुताबिक सम्मान नहीं मिला।

कैलाश जोशी को लेकर वैसे भी मध्यप्रदेश में उस समय बहुत कुछ बोला जाता था। जिस समय वो मुख्यमंत्री हुआ करते थे,उस समय उनके ऊपर ज्यादा सोने के आरोप लगते थे। कैलाश जोशी, पुराने संघी होने साथ-साथ एक तेज तर्रार वक्ता भी हुआ करते थे। वो आठ बार विधायक रहे। दो बार सांसद और एक बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उनके बेटे दीपक अगर आज भाजपा से नाराज हैं तो सिर्फ इसी बात को लेकर कि भाजपा की इतनी बड़ी शख्सियत को वह सम्मान क्यों नहीं मिला जिसके वो हकदार थे। उनके नाम पर कोई स्मारक या कोई भवन क्यों नहीं बनाया गया। हालांकि जिस वक्त उन्होंने कांग्रेस में जाने की घोषणा की, उस समय भाजपा में खलबली मच गई। पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं की तरफ से उन्हें मनाने के कोशिशें होने लगीं।

कांग्रेस ने शायद दीपक जोशी से वादा किया है कि अगर उनकी सरकार आएगी तो, उनके पिता कैलाश जोशी को उचित सम्मान देगी। उनके नाम पर सड़कों के साथ-साथ स्मारकें भी बनवाई जायेंगीं।मध्यप्रदेश चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है लेकिन जिस तरह से भाजपा के सीनियर नेता पार्टी को अलविदा कह रहे हैं उसे दखते हुए कहा जा सकता है कि भाजपा में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जहां तक रही बात दीपक जोशी के कांग्रेस में जाने की तो उसके पीछे कारण सिर्फ उनके पिता को प्रॉपर सम्मान ना मिलना ही नहीं हो सकता। संभव है कि उन्हें अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी ज्योतिरादित्य सिंधिया से बदला लेना भी हो। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जिस प्रत्यासी से दीपक हार गए थे, वही विधायक सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गया था। दीपक का सिंधिया से छत्तीस का आंकड़ा है। यानी दीपक जोशी भी एक तीर से दो निशाना लगाने का मन बना चुके हैं।

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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