MP Assembly Election में दिग्विजय सिंह और सिंधिया की प्रतिष्ठा होगी दांव पर!
मध्यप्रदेश में इस साल के अंत तक विधान सभा के चुनाव हो जाएंगे। पिछले चुनाव में भले ही कांग्रेस की सरकार बन गई थी, लेकिन लगभग डेढ़ साल बाद एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन गए थे। यह सब हुआ था, कभी कांग्रेस के बड़े नेता रहे, ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से।
MP Assembly Election में दिग्विजय सिंह और सिंधिया की प्रतिष्ठा होगी दांव पर! |
इस बार के चुनाव में शिवराज सिंह चौहान के अलावा सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को यह साबित करना होगा कि वो कांग्रेस की तरफ से सबसे भरोसेमंद नेता हैं।
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसने बसपा और सपा के कुछ विधायकों के सहयोग से सरकार बना ली थी।कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं सपा और बसपा के विधायक बाद में कांग्रेस से सौदेबाजी ना शुरू कर दें। कहीं कांग्रेस का खेल ना बिगड़ दें। खैर उन्होंने ने तो कांग्रेस का खेल नहीं बिगाड़ा, खेल बिगाड़ा कांग्रेस के पुराने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने। वो अपने कुछ विधयाकों को लेकर भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई और बगैर फ्लोर टेस्ट के कमलनाथ ने स्तीफा दे दिया था। चूँकि जो विधायक सिंधिया के साथ भाजपा में गए थे, उनकी वजह से विधान सभा की सीटें घट गई थीं। जो बचे थे उसके आधार पर भाजपा को सदन में बहुमत साबित करने में कोई परेशानी नहीं हुई। भाजपा की सरकार बन गई थी, और एक बार फिर सत्ता पर शिवराज सिंह चौहान काबिज हो गए थे।
2018 के चुनाव में ग्वालियर और संभल का क्षेत्र बहुत चर्चित रहा। यहाँ से कांग्रेस के दो बड़े नेता अधिक से अधिक सीटें जितवाने का दावा कर रहे थे। जबकि सिंधिया भी इसी क्षेत्र के बड़े नेता माने जाते हैं। पिछले चुनाव में यहाँ की 34 सीटों में से कांग्रेस को 28 सीटें मिलीं थीं। इस बार यहाँ दोनों नेता यानी दिग्विजय सिंह और सिंधिया, ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का दवा कर रहे हैं। यह तय है कि जिसकी भी यहाँ से ज्यादा सीटें आएँगी, उस पार्टी की सरकार आसानी से बन जाएगी। अभी चुनाव में काफी वक्त बाकी है। लेकिन दिग्विजय सिंह और सिंधिया के बीच व्यंग बाण चलने लगे हैं। कुछ दिन पहले जहाँ दिग्विजय सिंह ने सिंधिया को लेकर कहा था कि महाकाल सिंधिया जैसा गद्दार, मध्यप्रदेश में दुबारा पैदा ना हो। वहीँ सिंधिया ने कहा था कि हे महाकाल, दिग्विजय सिंह जैसा व्यक्ति मध्यप्रदेश में पैदा न हो, जिसने मध्यप्रदेश के टुकड़े करवा दिए थे।
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