मप्र में ओबीसी आरक्षण मामला सर्वोच्च न्यायालय मे पहुंचा, सुनवाई 17 को

Last Updated 13 May 2022 11:29:19 PM IST

मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर चल रही तकरार के बीच शिवराज सरकार मोडिफिकेशन के जरिए सर्वोच्च न्यायालय पहुंची है, जहां सुनवाई 17 मई को होगी।


मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान

ज्ञात हो कि पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लेकर सियासी संग्राम बना हुआ है। इसके लिए दोनों दल सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं।

राज्य के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने बताया है कि भाजपा हमेशा पिछड़ा वर्ग हितैषी रही है। जब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने चुनाव की घोषणा की तब कांग्रेस नेता विवेक तन्खा, जया ठाकुर, और सैयद जाफर भगोड़े बनकर अदालत में चले गए। हमारी सरकार आरक्षण के साथ चुनाव करवा रही थी लेकिन कांग्रेस के स्टे के कारण चुनाव में व्यवधान हुआ और पिछड़ा वर्ग को जो आरक्षण मिलता था, उससे भी वह वंचित हो गया। पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए हमारे प्रयास ईमानदार रहे लेकिन कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग को हर कदम पर धोखा दिया।

डॉ. मिश्रा ने कहा कि भाजपा की सरकार पिछड़ों को उनका राजनीतिक अधिकार मिले, इसके लिए हमेशा प्रतिबद्ध रही है और प्रदेश सरकार ने चुनाव की तैयारी की, लेकिन पिछड़ा वर्ग विरोधी कांग्रेस को यह रास नहीं आया। आज जो स्थिति बनी है उसकी जिम्मेदार कांग्रेस है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान स्पष्ट कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है उसके बाद हम मोडिफिकेशन में जायेंगे। 17 मई मंगलवार को हमने जो मोडिफिकेशन प्रस्तुत किया है उसकी सुनवाई है। मोडिफिकेशन में दो मांगे रखी है। पहली है 2022 के परिसीमन के आधार पर चुनाव में पिछड़े वर्ग को समाहित करने की अनुमति दी जाए। वहीं दूसरी मांग में 2022 के परिसीमन के आधार पर चुनाव होंगे, उस हिसाब से थोड़े समय की मांग की है। ताकि जहां परिसीमन को लेकर भ्रम की स्थिति है वह साफ हो।

आईएएनएस
भोपाल


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