भोपाल में कोरोना से मरने वालों में 75 फीसदी गैस पीड़ित
मध्यप्रदेश की राजधानी में कोरोना का संक्रमण फैलना जारी है। संक्रमित मरीजों की मौत भी हो रही है। भोपाल गैस पीड़ितों के संघर्ष के लिए काम करने वाले चार संगठनों ने कहा है कि कोरोना से मरने वाले मरीजों में 75 प्रतिशत गैस पीड़ित हैं।
भोपाल में कोरोना से मरने वालों में 75 फीसदी गैस पीड़ित |
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर गैस पीड़ितों की समस्याओं से अवगत कराया है। साढ़े तीन दशक पहले हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के संगठन गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी, भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा के नबाव खां, भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा और डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे संगठन के नौशीन खां ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि भोपाल शहर में कोविड-19 से मरने वालों में से 75 फीसदी गैस पीड़ित हैं और इस बीमारी का कहर गैस पीड़ितों पर सबसे ज्यादा बरपा है।
आगे कहा गया है कि कोरोना की वजह से हुई बहुसंख्यक गैस पीड़ितों की मौतों से यह स्थापित होता है कि 35 साल बाद गैस पीड़ितों का स्वास्थ्य इसलिए नाजुक है, क्योंकि उनके स्वास्थ्य को यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैस के वजह से स्थायी क्षति पहुंची है।
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खां ने कहा है कि गैस पीड़ित संगठनों ने 21 मार्च और 23 अप्रैल को केंद्र एवं राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर बता दिया था कि इस संक्रमण के चलते अगर गैस पीड़ितों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो बहुत सारे गैस पीड़ित अपनी जान गवाएंगे। शहर में हुई 60 मौतों पर आधारित यह विस्तृत रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बताती है कि सिर्फ 60 साल से ऊपर के गैस पीड़ित ही इसकी चपेट में नहीं आए हैं। 38 से 59 वर्ष की आयु में काल कवलित होने वाले व्यक्तियों में 85 प्रतिशत भोपाल गैस कांड के पीड़ित हैं।
भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा का कहना है कि कोविड-19 की वजह से मरनेवाले गैस पीड़ितों में से 81 प्रतिशत गैस पीड़ित पुरानी बीमारी (गैस जनित) बीमारी से ग्रस्त थे। इसके अलावा 75 प्रतिशत गैस पीड़ित अस्पताल में भर्ती होने के पांच दिन के अंदर ही खत्म हो गए।
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