मध्य प्रदेश की सियासत में पाप-पापी, धर्म-अधर्म की एंट्री

Last Updated 12 Jun 2020 03:15:03 PM IST

मध्य प्रदेश में आगामी समय में होने वाले 24 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने कदमताल तेज कर दी है। ऑडियो-वीडियो के सहारे एक दूसरे को घेरने की कोशिश हो रही है तो वहीं अब सियासत में पाप, पापी, धर्म और अधर्म की एंट्री हो चुकी है।


शिवराज, कमलनाथ (फाइल फोटो)

वैसे तो राष्ट्रीय राजनीति में चुनाव जीतने का बड़ा हथियार धर्म को बनाया जाता रहा है। मगर मध्य प्रदेश में अब तक की सियासत धर्म से दूर रही है। इसके बावजूद एक-दूसरे के आरोपों का जवाब देने के लिए कोई पाप-पुण्य की बात कर रहा है तो कोई धर्म-अधर्म से लेकर दूसरे को ढोंगी करार देने में लगा है।

राजनीतिक विश्लेषक साजी थामस का मानना है, "जब राजनीतिक दलों के पास जनता से जुड़े मुद्दे नहीं होते हैं तो वे धर्म और दीगर विषयों पर ज्यादा बात करने लगते हैं। राज्य में आगामी समय में 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव है और दोनों दल एक दूसरे पर बड़ा प्रहार करने की कोशिश कर रहे हैं। उसी कोशिश में जनता के मुद्दे पीछे छूट गए हैं और धर्म, अधर्म, पापी, पाप की बात होने लगी है। इस तरह की बातों से जनता का ध्यान तो बंटता ही है और राजनीतिक दलों को लाभ मिलता है।"

राज्य में इंदौर में हुई कार्यकर्ताओं की सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ की सरकार गिराने का राज खोला तो उन पर हमले शुरू हो गए। इसका जवाब चौहान ने अपने ही अंदाज में दिया। उन्होंने कहा, "पापियों का विनाश तो पुण्य का काम है। हमारा धर्म तो यही कहता है। क्यों? बोलो, सियापति रामचंद्र की जय!"

मुख्यमंत्री चौहान ने पुण्य और पाप की बात की तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी खुलकर सामने आ गए और उन्होंने अपरोक्ष रूप से ढोंगी तक कह डाला। उन्होंने कहा, "कुछ लोग खुद को बड़ा धर्म प्रेमी बताते है, खूब ढोंग करते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ये ही लोग सबसे बड़े अधर्मी, पापी है। जनता के धर्म यानी जनादेश को नहीं मानते हुए उसका अपमान करने वाले धर्म प्रेमी कैसे?"

इन दोनों नेताओं के ट्वीट को एक-दूसरे पर हमला माना जा रहा। हमले के लिए दोनों ही नेताओं ने धर्म, अधर्म, पापी, पाप का सहारा लिया है। राज्य की सियासत में यह नए तरह का सियासी अंदाज है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक गिरजा शंकर कहते हैं, "धर्म, अधर्म, पाप और पापी के जो ट्वीट चल रहे हैं वह किसी नेता की सहमति से नहीं चल रहे होंगे बल्कि सोशल मीडिया की जिम्मेदारी जिन नए नवेले और गैर पेशेवर लोगों के हाथ में होती है वह इस तरह के नादानी भरे ट्वीट कर जाते हैं।"

राजनेताओं के ट्वीट और सोशल मीडिया को लेकर गिरिजा शंकर कहते हैं कि कोई भी नेता ट्वीट या सोशल मीडिया को खुद संचालित नहीं करता, इसे संचालित तो कोई और करता है मगर नाम होता है शिवराज और कमल नाथ का। ट्विटर पर अगर कोई गड़बड़ी होती है तो उसका नुकसान नेता को होता है, इसलिए जरूरी है कि नेता ऐसे व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपे जिसकी राजनीतिक और सामाजिक समझ हो। इस तरह की समझ के अभाव में ही धर्म, अधर्म, पाप और पापी के ट्वीट होते हैं।

आईएएनएस
भोपाल


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