छोटे कारोबारियों के लिए 'कोरोना' बना बड़ा संकट
कोरोना वायरस ने देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्य प्रदेश के हर वर्ग की जिंदगी पर व्यापक असर डाला है। एक तरफ जहां लोग बीमारी से सशंकित हैं तो दूसरी तरफ लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है।
|
सबसे ज्यादा छोटे कारोबारी उन इलाकों में प्रभावित हैं जहां बीमारी की रोकथाम के लिए कर्फ्यू लगाया गया है।
मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल और जबलपुर में आज (मंगलवार) से कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसका सबसे ज्यादा असर उन छोटे कारोबारियों पर पड़ा है जो रोज सामान बेचकर अपना और परिवार का भरण पोषण करते हैं। इन्हें यह सूझ नहीं रहा है कि अगर एक सप्ताह से ज्यादा यह कर्फ्यू जारी रहता है तो उनके सामने दो वक्त की रोटी मिलना मुश्किल हो जाएगा।
भोपाल के महाराणा प्रताप नगर में किराना दुकान के संचालक महेश कुमार का कहना है कि कर्फ्यू से उनकी रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ना तय है क्योंकि आम तौर पर वे रोज सामान लाते हैं और उसे बेचते हैं। इसी से उनके परिवार का जीवन चल रहा है। अब मुख्य बाजार बंद है, उन्हें माल नहीं मिलेगा और जब माल नहीं मिलेगा तो बेचेंगे क्या। यही स्थिति अगर पांच से सात दिन रह गई तो उनके लिए दिन काटना मुश्किल हो जाएगा।
राजधानी के विभिन्न बाजारों में सब्जी बेचने वाली रामकली पिछले कई दिनों से परेशान हैं। वह कहती हैं कि जब से कोरोना वायरस की बात सामने आई है, सब्जी के बाजार पूरी तरह नहीं लग रहे हैं और ग्राहक भी कम आ रहे हैं। फिर भी कुछ सब्जियां बिक जाती थीं जिससे उनकी जरूरतें पूरी हो जाती थीं, मगर मंगलवार से कर्फ्यू लग गया है तो अब तो बिल्कुल ही सब्जी नहीं बिक पाएगी क्योंकि उनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। वह तो साप्ताहिक बाजारों में जाकर ही सब्जी बेचती थीं, कर्फ्यू के कारण तो सब्जी बाजार भी नहीं लगेंगे।
इसी तरह जबलपुर में पान की गुमटी लगाने वाले विनोद चौरसिया का कहना है कि आने वाले दिन उनके लिए बहुत मुसीबत भरे होंगे क्योंकि जबलपुर में कर्फ्यू लग गया है, वैसे ही पिछले कुछ दिनों से पान और अन्य सामान की बिक्री कम हो रही थी, मगर अब तो गुमटी ही बंद करना पड़ गई है। कैसे चलेगा परिवार यह तो भगवान ही जाने।
मध्य प्रदेश सवरेदय मित्र मंडल के प्रदेश संयोजक मनीष राजपूत का कहना है कि मजदूरों के साथ रोज कमाने खाने वाले छोटे कारोबारियों की भी सरकार को मदद करनी चाहिए। सरकार को इस वर्ग के लोगों के लिए एक पैकेज का ऐलान करना चाहिए, ताकि इस वर्ग में असुरक्षा का भाव न बढ़े और वे घर से बाहर निकलने के लिए मजबूर भी न हों।
| Tweet |