नसबंदी मामले में स्वास्थ्य मिशन की संचालक को पद से हटाया
बहुउद्देशीय कार्यकर्ताओं (एमपीडब्ल्यू) द्वारा पुरूष नसबंदी लक्ष्य पूरा नहीं करने पर उनका वेतन रोकने और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए हाल ही में परिपत्र जारी करने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश की संचालक छवि भारद्वाज को राज्य सरकार ने इस पद से शुक्रवार को हटा दिया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश की संचालक छवि भारद्वाज |
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश की संचालक छवि भारद्वाज द्वारा जारी परिपत्र पर मध्य प्रदेश भाजपा के साथ-साथ एमपीडब्ल्यू कार्यकर्ताओं के तीव्र विरोध एवं राज्य सरकार की हो रही किरकिरी के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।
मध्य प्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की उप सचिव अर्चना सोलंकी द्वारा हस्ताक्षरित आज शाम जारी आदेश में कहा गया है, ‘‘छवि भारद्वाज, भाप्रसे (2008), मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की सेवाएं लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से वापस लेकर उन्हें अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक स्थानापन्न रूप से विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, मध्य प्रदेश मंत्रालय पदस्थ किया जाता है।’’
आदेश में कहा गया है कि आदेश मध्य प्रदेश के राज्यपाल के नाम से तथा मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहन्ती के आदेशानुसार जारी किया गया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने एक परिपत्र जारी कर बहुउद्देशीय कार्यकर्ताओं (एमपीडब्ल्यू) से नसबंदी लक्ष्य पूरा करने के लिए कहा है अन्यथा उनका वेतन रोकने और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए आगाह किया है। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद राज्य सरकार ने बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पुरुष नसबंदी का लक्ष्य दिये जाने से जुड़े निर्देशों को निरस्त कर दिया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश की संचालक छवि भारद्वाज द्वारा 11 फरवरी को जारी परिपत्र में कहा गया था, ‘‘एनएफएचएस-4 के प्रतिवेदन अनुसार मध्य प्रदेश में मात्र 0.5 प्रतिशत पुरूषों द्वारा ही नसबंदी अपनाई जा रही है। इस हेतु अत्यंत आवश्यक है कि विभाग के मैदानी अमलों विशेषकर एमपीडब्ल्यू तथा पुरूष सुपरवाइजर द्वारा लक्षित हितग्राहियों से संपर्क कर समुचित परामर्श किया जाये।’’
इसमें कहा गया था, ‘‘जिले के समस्त एमपीडब्लयू द्वारा न्यूनतम 5 से 10 पुरूष नसबंदी के इच्छुक हितग्राहियों का ‘‘मोबलाइजेशन’’ निर्धारित पुरूष नसबंदी की स्थाई सेवा दिवस/ केन्द्रों पर सुनिश्चित किया जाये।’’
परिपत्र में कहा गया ऐसे एमपीडब्ल्यू की पहचान की जाए जो वित्त वर्ष 2019-20 में नसबंदी के लिए एक भी पात्र पुरूष की तलाश नहीं कर पाए। इसमें कहा गया है कि ऐसे एमपीडब्ल्यू के वेतन पर तब तक रोक लगा दी जाए ‘‘जब तक कि वे न्यूनतम एक पुरूष नसबंदी के इच्छुक हितग्राही का मोबिलाइजेशन सुनिश्चित न कर सकें।’’
इस परिपत्र पर विवाद होने के बाद राज्य के लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट ने ‘भाषा’ को शुक्रवार को बताया, ‘‘मेरे संज्ञान में आने के बाद हमने (छवि भारद्वाज के) इन निर्देशों को पूरी तरह निरस्त कर दिया है।’’
इस परिपत्र के जारी होने पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एंव राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ट्वीट किया, ‘‘मध्य प्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू (मेल मल्टी परपज हेल्थ वर्कर्स) के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है।’’
वहीं, मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘ये हो क्या रहा है मध्य प्रदेश में ? अब प्रदेश के पुरुषों को पकड़कर उनकी जबर्दस्ती नसबंदी करायेगी कमलनाथ सरकार?’’
छवि भारद्वाज का स्थानांतरण करने पर उन्होंने लिखा, ‘‘भाजपा एवं जनता के विरोध के बाद सरकार ने अपना फरमान वापस तो ले लिया लेकिन इस तरह के फरमान के पीछे मंशा क्या थी कांग्रेस सरकार की? और असली दोषी कौन है ? सरकारी कर्मचारी को सजा देकर खुद को और अपने मंत्री को बचा रहे हैं कमलनाथ!!’’
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