सुमित विश्वकर्मा ने मजदूरी कर पढ़ाई की, फिर पास की यूपीएससी परीक्षा
मध्य प्रदेश में जबलपुर के सुमित विश्वकर्मा ने उन लोगों को आईना दिखाया है, जो अभाव को असफलता की वजह बताते हैं।
मध्य प्रदेश में जबलपुर के सुमित विश्वकर्मा |
सुमित ने बीई और एमटेक की उपाधि हासिल की, और नौकरी नहीं मिली तो मजदूरी (मिस्त्री) को जीवकोपार्जन का जरिया बना लिया। मगर सरकारी नौकरी पाने का उद्देश्य उन्होंने हमेशा सामने रखा। दिन में मजदूरी और रात को पढ़ाई। आज उन्होंने संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में 53वां स्थान हासिल किया है।
अभाव कभी असफलता की वजह नहीं होती
इन दिनों मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। इसमें एक नौजवान तेज धूप में मिस्त्री का काम करते नजर आ रहा है और उसके आगे लिखा है कि ‘मिस्त्री से बना कलेक्टर’। यह संदेश हर किसी को चमत्कृत कर देता है, मगर यह सच है।
सुमित मूल रूप से जबलपुर के नजदीकी जिले सिवनी के बम्हौड़ी गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता कृष्ण कुमार गांव में आय का जरिए न होने के कारण जबलपुर आ गए। सुमित बताते हैं कि उनकी इच्छा सरकारी नौकरी करने की थी। उन्होंने बीई करने के बाद सरकारी नौकरी के प्रयास किए, मगर सफलता नहीं मिली। कॉलेज कैंपस में कई कंपनियां आईं, मगर उस समय परिस्थितियों के कारण नौकरी करने वह बाहर नहीं जा सके। उन्हें एक कॉलेज में नौकरी मिली, मगर वह नौकरी भी ज्यादा दिन साथ नहीं दे सकी।
सुमित आगे कहते हैं, जब कोई नौकरी नहीं मिली तो मिस्त्री का काम करने लगा। दिन में मकान निर्माण का काम करते और रात को दो बजे तक नियमित रूप से पढ़ाई। मन में सरकारी नौकरी पाने की तमन्ना थी, लिहाजा उसी दिशा में जुटा रहा। मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षा में सफल नहीं हो पाया, मगर हिम्मत नहीं हारी। फिर यूपीएससी की तैयारी शुरू की। बीते 10 सालों से पिता के साथ मजदूरी के काम में हाथ बंटाता आ रहा हूं।
सुमित की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा गांव में ही हुई है। उसके बाद नवीं कक्षा की पढ़ाई जबलपुर में हुई। पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वापस गांव लौटना पड़ा, क्योंकि गांव में दादी अकेली थीं। सुमित ने 12वीं तक की पढ़ाई फिर गांव में ही की। बाद में उसका चयन जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया। यहीं से उसने बीई और एमटेक की पढ़ाई पूरी की। सुमित बताते हैं, वर्ष 2010 में मैंने संकल्प लिया कि सरकारी नौकरी पा कर ही रहेंगे। इसके लिए तैयारी शुरू की।
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