विधायकों को तोड़ने की कोशिश में नाकाम हुई BJP: कमलनाथ
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार सुबह तक कांग्रेस और उसे समर्थन देने वाले विधायकों को प्रलोभन के जरिए तोड़ने या अपने पक्ष में लाने की कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (फाइल फोटो) |
कमलनाथ ने विधानसभा सत्र समापन के बाद विधानसभा परिसर में पत्रकारों से कहा कि भाजपा नेताओं ने कांग्रेस और उसे समर्थन देने वाले विधायकों को प्रलोभन के जरिए तोड़ने या फिर अपने पक्ष में लाने की पूरी कोशिश की। लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। यह बात उन्होंने स्वयं ही उनके नेताओं को बतायी, जब वे उनसे मिलने आए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए उनकी सबसे पहली प्राथमिकता सदन में अध्यक्ष के चुनाव के जरिए बहुमत साबित करने की रही थी और उन्होंने उसे पूरा कर दिखाया। कमलनाथ ने कहा कि अध्यक्ष के चुनाव के दौरान पक्ष में 120 वोट पड़े। एक वोट प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना का था, जिन्होंने वोट नहीं डाला। इस तरह कांग्रेस सरकार ने साबित कर दिया कि उसे सभी 121 विधायकों का समर्थन हासिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा कहती है कि सरकार अल्पमत में है। लेकिन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव से साबित हो गया है कि कांग्रेस पूर्ण बहुमत वाली सरकार है और भाजपा इस खुलासे से बचने के लिए प्रयास करती रही। इसी के तहत उसने सदन में हंगामा किया।
हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 114 विधायक जीते हैं। उसे बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय (कुल 121) विधायकों का समर्थन भी हासिल है। वहीं भाजपा को 109 विधायकों पर ही संतोष करना पड़ा और उसे 15 वर्षों बाद सत्ता गंवानी पड़ी।
कमलनाथ ने विपक्षी दल भाजपा पर संसदीय परंपराएं तोड़ने का भी आरोप लगाया और कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन की नौबत भाजपा की वजह से ही आयी। परंपराओं के अनुरूप अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल से रहता है और इस बार भी हम यही चाहते थे, लेकिन भाजपा ने अध्यक्ष पद का उम्मीदार खड़ा कर दिया और परंपरा तोड़ी। इसके बाद हमने भी उपाध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी उतार दिया। इस तरह परंपरा भाजपा ने पहले तोड़ी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चाहते थे कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए विधिवत मतदान हो। जिससे हम बहुमत साबित कर सकें और विपक्षी सदस्यों की असलियत सामने आ सके। लेकिन उन्हें (भाजपा) असलियत उजागर होने का डर था, इसलिए उन्होंने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान व्यवधान पैदा किया। उन्होंने कहा कि दोनों निर्वाचन पूरी तरह नियमों के तहत हुए हैं और नियमों को उन्होंने स्वयं ही देखा है।
अध्यक्ष के निर्वाचन को अदालत में चुनौती देने संबंधी विपक्ष की चेतावनी के बारे में कमलनाथ ने दोहराया कि चुनाव पूरी तरह नियमों से हुए हैं और विपक्ष कोई भी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि दरअसल विपक्ष को खुलासे होने का भय है। अभी तो कुछ भी नहीं हुआ है। ये तो ट्रेलर है और अभी बहुत सारे खुलासे होंगे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा को अभी तक यह समझ नहीं आ रहा है कि अब वे विपक्ष में हैं और सत्तारूढ़ दल के भी कुछ लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वे अब सत्ता में हैं।
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