Puri Rath Yatra 2025: रथों को मोड़ने के साथ भगवान जगन्नाथ की ‘बहुड़ा यात्रा’ के लिए तैयारियां शुरू

Last Updated 02 Jul 2025 04:30:41 PM IST

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने पुरी जिला प्रशासन और पुलिस की मदद से बुधवार को ‘हेरा पंचमी’ अनुष्ठान पूरा होने के एक दिन बाद भगवान जगन्नाथ की ‘बहुड़ा यात्रा’ (वापसी रथयात्रा) की तैयारियां शुरू कीं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।


एसजेटीए अधिकारी ने बताया कि बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी श्रद्धालुओं को श्री गुंडिचा मंदिर में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के दर्शन सुचारू रूप से हो रहे हैं।


उन्होंने कहा कि पांच जुलाई को 'बहुड़ा यात्रा' के लिए रथों को दक्षिण दिशा की ओर मोड़ने (दखिना मोड़ा) की तैयारी चल रही है।

अधिकारी का कहना है कि तीन भव्य रथ- तलध्वज (भगवान बलभद्र), दर्पदलन (देवी सुभद्रा) और नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ) अब श्री गुंडिचा मंदिर के सामने ‘सरधाबली’ (पवित्र रेतीले स्थान) पर खड़े हैं। यह मंदिर देवताओं का जन्मस्थान माना जाता है। वापसी रथयात्रा के लिए इन रथों को घुमाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी और कुछ सेवायत रथ को खींचकर उचित स्थान पर रखेंगे, उसके बाद पांच जुलाई को ‘बहुड़ा यात्रा’ के दौरान इन रथों को 12वीं शताब्दी के मंदिर तक ले जाया जाएगा।

माधव पूजापंडा ने कहा, ‘‘आज, 'सकालधुप' (सुबह के भोजन) अनुष्ठान के बाद, देवताओं से ‘आज्ञामाला’ (अनुमति माला) आने के बाद रथ को खींचा जाएगा, फिर रथ ‘दखिना मोड़’ की ओर मुड़ेंगे। इस बीच तीन ‘आज्ञा माला’ (मालाएं) रथों तक पहुंच गई हैं। रथ यात्रा अनुष्ठानों का हिस्सा बनकर मुझे बहुत संतुष्टि मिल रही है।’’

माधव पूजापांडा श्री गुंडिचा मंदिर से ‘आज्ञा माला’ को रथों तक ले गये।

इस शृंखला में सबसे पहले देवी सुभद्रा का देवदलन रथ खींचा जाएगा, उसके बाद भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ और अंत में जगन्नाथ का नंदीघोष रथ पांच जुलाई को आगे की वापसी यात्रा के लिए 'नकाचना द्वार' के सामने पहुंचेगा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री गुंडिचा मंदिर में बुधवार को तीन-दिवसीय 'रासलीला' शुरू होगी। भगवान जगन्नाथ ‘गोपियों’ (भगवान कृष्ण की महिला अनुयायी) के साथ ‘रासलीला’ करेंगे।

इस बीच, मंगलवार रात को हेरा पंचमी की रस्म निभाई गई, जब भगवान जगन्नाथ की पत्नी मां लक्ष्मी रथयात्रा में न ले जाने से नाराज और अपमानित होकर श्री गुंडिचा मंदिर पहुंचीं। मां लक्ष्मी इसलिए नाराज थीं, क्योंकि भगवान जगन्नाथ ने उन्हें नहीं, बल्कि अपने भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को रथ यात्रा में ले गए थे।

क्रोधित होकर मां लक्ष्मी ने भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ का एक हिस्सा तोड़ दिया और एक औपचारिक जुलूस के रूप में मुख्य मंदिर में लौट आईं।
 

भाषा
पुरी (ओडिशा)


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