उज्जैन: नव वर्ष के आगमन पर रोशनी में नहाया क्षिप्रा नदी का किनारा
हिन्दू रीति रिवाज से मनाया जाने वाला नव वर्ष विक्रम संवत 2074 के आगमन पर मध्य प्रदेश का उज्जैन शहर रोशनी में नहा गया.
(फाइल फोटो) |
रंग बिरंगी रोशनी में नहाये हुए क्षिप्रा तट का मनोहारिक दृश्य देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. मान्यता है की गुड़ी पड़वा पर नव वर्ष का आगमन होता है.
विक्रम संवत सन् 2074 के नव वर्ष के उपलक्ष्य में उज्जैन में क्षिप्रा नदी पर आयोजित कार्यक्रम में जमकर आतिशबाजी हुई.
फिल्म के प्रख्यात पार्श्व गायक सुदेश भोसले ने नव वर्ष के अवसर पर क्षिप्रा के तट से ओम नम: शिवाय और सत्यमं शिवम सुंदरम् के साथ शुरूआत की तो क्षिप्रा के तट तालियों के साथ जय महाकाल के जयघोष से गूंज उठे.
कार्यक्रम में सुदेश भोसले को सम्राट विक्रमादित्य संगीत अलंकरण सम्मान के रूप में एक लाख रुपये का सम्मान देकर सम्मानित किया गया.
उज्जैन राजा विक्रमादित्य की नगरी है और यहां विक्रम संवत का अपना अलग महत्व होता है. वहीं गुड़ी पड़वा से भारत में नव वर्ष मानाने की परंपरा है.
परंपरा के अनुसार गुड़ी पड़वा पर सुबह-सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर और शंखनाद कर लोग नव वर्ष का अभिनन्दन करते हैं.
इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया और ऊर्जा मन्त्री पारस जैन भी मौजूद रहे.
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