झारखंड : सारंडा के वन औषधियों से बन रहा 'इम्युनिटी बूस्टर' काढ़ा

Last Updated 01 May 2020 04:52:28 PM IST

कोरोनवायरस महामारी की रोकथाम के लिए सरकार से लेकर आम व्यक्ति तक प्रयत्नशील है। इसी को लेकर कई नवाचार भी देखने को मिल रहे हैं।


इसी क्रम में एशिया के प्रसिद्ध सारंडा जंगल में पाए जाने वाले औषधीय पौधों से वन एवं पर्यावरण विभाग ने आयुर्वेदाचार्यो की मदद से एक काढ़ा तैयार किया है। इस हर्बल पेय को 'इम्युनिटी बूस्टर' (प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला) बताया जा रहा है।

सारंडा के वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) रजनीश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि इस पेय पदार्थ के निर्माण में मुख्य रूप से गिलोय, अर्जुन वृक्ष की छाल, अमरूद की पत्तियां, अदरक, काली मिर्च, गुड़ इत्यादि का प्रयोग किया गया है। इस काढ़े का नाम 'सारंडा इम्युनिटी बूस्टर' दिया गया है।

उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के तहत सारंडा वन क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय गुण से परिपूर्ण जड़ी बूटियों की मदद से प्रशिक्षण केंद्र के आयुर्वेदाचार्य मधुसूदन मिश्रा के नेतृत्व में इसको तैयार किया गया है।

इस पेय पदार्थ का लोकार्पण पश्चिम सिंहभूम के उपायुक्त अरवा राजकमल ने बुधवार को खुद पीकर किया था। उपायुक्त ने इसके लिए वन एवं पर्यावरण के अधिकारियों और कर्मचारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि वन प्रमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में स्थानीय करमपदा वन समिति के द्वारा शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में वर्णित सामग्रियों का प्रयोग करते हुए इस हर्बल पेय पदार्थ का निर्माण किया गया है।

वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश ने कहा, "झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में स्थित साल के जंगलों के लिए प्रसिद्ध सारंडा जंगल में औषधीय पोधे बहुतायत में पाए जाते हैं। इनमें सफेद मूसली, काली मूसली, मुलेठी, सतावर, गुडमार, चेरेता, कालीहारी, पत्थरचूर, तुलसी, अर्जुन, र्हे आदि प्रमुख हैं।"

उन्होंने बताया कि इसे बनाना भी आसान है। सबसे पहले अर्जुन की छाल को पीसकर चटनी जैसा बनाने के बाद 500 ग्राम गिलोय, 250 ग्राम अमरुद की पत्ती, 350 ग्राम हल्दी, 250 ग्राम अदरक, 300 ग्राम तुलसी, 100 ग्राम दालचीनी, 100 ग्राम इलायची का बीज, 150 ग्राम काली मीर्च, 100 ग्राम लौंग को पीसकर 15 लीटर पानी में मिला दें। उसके बाद गुड़ तीन किलोग्राम घोलकर एक साथ मिला दें। उसके बाद किसी बर्तन में रखकर गर्म करें। एक घंटा में यह इम्युन बूस्टर बनकर तैयार हो जाएगा।

कुमार ने कहा कि गुजरात में कोरोना के संदिग्ध मरीजों को पेय पदार्थ के रूप में हर्बल पेय काढ़ा देने की जानकारी के बाद उन्होंने इसके लिए आयुर्वेदाचार्य मधुसूदन मिश्रा और बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के हरिलाल से संपर्क किया और इसकी तैयारी शुरू की, जिसके सुखद परिणाम सामने आए हैं।

उन्होंने आगे कहा, "सारंडा वन प्रमंडल के अंतर्गत आने वाली वन समितियों को धनवंतरि आयुर्वेदिक शोध संस्थान तथा पंचकर्म विज्ञान चिकित्सालय और आयुर्वेदिक अस्पताल के निदेशक व प्रधान चिकित्सक डॉ. मधुसूदन मिश्र के जरिए जंगल में उपलब्ध पौधों से औषधि तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।"

डीएफओ ने बताया कि सारंडा में अनेक प्रकार की वनस्पतियां हैं और हर वनस्पति की अलग-अलग विशेषता है। आयुर्वेदाचार्य की देख-रेख में इसे वनस्पति पार्क में लगाया जा रहा है।

इधर, पश्चिम सिंहभूम के उपविकास आयुक्त आदित्य रंजन ने आईएएनएस को कहा कि आयुष विभाग के दिशा-निर्देश पर बनाए गए इस हर्बल पेय पदार्थ को दवा दुकानों में बिक्री के लिए ड्रग कंट्रोलर से बात की गई है, अनुमति मिलने के बाद इस पेय पदार्थ को जिले की दवा दुकानों पर भी उपलब्ध करवाया जाएगा। दूसरे जिलों में भी इसे उपलब्ध करवाया जाएगा।

रंजन ने कहा, "इस पेय पदार्थ की बिक्री के बाद निर्माण में जुड़े स्थानीय वन समितियों के सदस्यों के आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी तथा वर्तमान समय में कोरोनावायरस से जारी इस जंग में एक मजबूत सहारा भी होगा। जिले के क्वारंटाइन सेंटर में रुके लोगों को भी यह पेय पदार्थ पीने को दिया जाएगा।"

उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले तक सारंडा जंगल की पहचान नक्सलियों की शरणस्थली के रूप में होती थी।
 

 

आईएएनएस
चाईबासा (झारखंड)


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment