विकास के लिए शोध आवश्यक - मुख्यमंत्री

Last Updated 30 Mar 2017 11:46:23 AM IST

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि विकास के लिए शोध आवश्यक है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार राज्य में शोध को बढ़ावा दे रही है.


फाइल फोटो : मुख्यमंत्री रघुवर दास

मुख्यमंत्री ने बुधवार रांची विश्वद्यालय में सरहुल के कार्यक्रम में यह बातें कहीं.
    
उन्होंने कहा कि देश में आजादी के बाद हमारे यहां शोध पर खर्च करने की परंपरा कम रही है. लेकिन हमारी सरकार ने शोध की महत्ता को देखते हुए शोध संस्थानों को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाये हैं.

शोध करके न केवल हम अपने अतीत के बारे में जान सकते हैं, बल्कि भविष्य की भी तैयारी भी कर सकते हैं.
    
उन्होंने कहा कि शोध करने के लिए छात्र दूसरे राज्य जाना चाहें, तो सरकार उनकी मदद करेगी.
    
दास ने कहा कि नृत्य, संगीत हमारी संस्कृति की पहचान है. सरकार हर गांव में अखाड़ा बनायेगी. यहां लोग न केवल अपनी संस्कृति की पहचान बरकरार रख सकेंगे बल्कि मनोरंजन भी कर पायेंगे. प्रत्येक वर्ष यहां प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जायेगा.

इसके बाद पंचायत स्तर, प्रखंड स्तर, जिला स्तर पर प्रतियोगिता होगी. इनमें चयनित कलाकारों को जनजातीय संस्कृति मेला के नाम से मोरहाबादी में तीन दिन की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया जायेगा. इस मेला के आयोजन से हमारी संस्कृति की पहचान पूरी दुनिया में हो सकेगी.



दास ने कहा कि दुनिया आदिवासी संस्कृति, उनकी परम्परा, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, लोक-कला, लोक-गीत एवं लोक-नृत्य इत्यादि के विषय में जानना चाहती है. इसमें शोध संस्थान एवं तीन दिवसीय जनजातीय संस्कृति मेला अहम भूमिका अदा कर सकता है. मेला के आयोजन से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. विदेशी पर्यटकों के आने से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी.
    
उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी समाज ने राज्य को विकसित करने के लिए काफी खून पसीना बहाया है. आजादी के 70 वर्ष के बाद भी गांव की दशा नहीं सुधरी है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
    
उन्होंने कहा कि 2014 में हमारी सरकार के आने के बाद हमने गांव की दशा सुधारने का पण्रकिया है. गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना और उनके चेहरे पर मुस्कान लाना मेरे जीवन का लक्ष्य है.

अब बिचौलियों और दलालों को राज्य में जगह नहीं है. पढ़े लिखे छात्र भी अपने गांव को समय दें. वहां लोगों को जागरूक करें. छोटे-छोटे काम से बड़ा बदलाव आ सकता है.
    
दास ने कहा कि पर्व-त्योहार संस्कृति के स्तम्भ होते हैं. ये जोड़ने का कार्य करते हैं. पर्व-त्योहार पूरे धूम-धाम, उल्लास एवं उत्साह के साथ मनाएं लेकिन अनुश्शासन भी कायम रखें. हम पर्व-त्योहार इस तरह मनाएं कि पहरे की आवयकता नहीं पड़े.
    
कार्यक्रम में रांची विश्वद्यालय के कुलपति डॉ रमेश कुमार पाण्डेय, रजिस्ट्रार डॉ अमर कुमार चौधरी अनेक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.

 

भाषा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment