फिर से खुलने लगे बस्तर के बाजार

Last Updated 20 Jan 2017 02:49:14 PM IST

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में लगने वाले हाट (साप्ताहिक बाजार) यहां की जीवन रेखा हैं. नक्सली हिंसा के कारण वर्षों से बंद इन बाजारों को अब फिर से खोलने की कोशिश की जा रही है.


(फाइल फोटो)

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य बस्तर क्षेत्र के लिए कहा जाता है कि यदि बस्तर को समझना है तब आप एक बार यहां के हाट में हो आइए. ये हाट बस्तर की जीवन रेखा हैं, जो यहां के लोगों की जिंदगी को बेहतर तरीके से समझने में मदद करते हैं.
       
बस्तर में लगने वाले इन हाटों में यहां की संस्कृति, खान पान और रहन सहन के तौर तरीकों को बेहद करीब से जानने और समझने का मौका मिलता है. बस्तर के बाजारों में रोजमर्रा की चीजें, कपड़े, स्थानीय आभूषण, चीटी की चटनी, सल्फी और पारंपरिक मुर्गा लड़ाई देख सकते हैं, जो बस्तर को खास बनाते हैं.
       
लेकिन पिछले कुछ दशकों से बस्तर में बिखरे बारूद और नक्सलियों के कारण यह परंपरा और संस्कृति कहीं खो गई थी और ज्यादातर हाट बंद हो गए थे. इसे फिर से जीवित करने के लिए सुरक्षाबलों ने कोशिश की है. ऐसी ही कोशिशों का नतीजा है कि बस्तर जिले के नेतानार बाजार को पिछले दिनों फिर से खोल दिया गया. इस प्रयास से यहां के ग्रामीण खुश हैं. 
       
नेतानार के सरपंच सहदेव नाग कहते हैं कि नक्सली हिंसा के कारण बरसों से बंद हाट को फिर से खुलवाने के बहुत प्रयास किए गए, लेकिन नक्सलियों से भय के कारण व्यापारी यहां आने से कतराते थे. पिछले दिनों सुरक्षाबलों के प्रयास से इसे फिर से शुरू किया गया है.

नाग ने बताया कि सुरक्षाबलों के लगातार प्रयास से इस क्षेत्र में अब शांति है. यही कारण है कि बीते दिसंबर माह में इस बाजार को फिर से शुरू किया गया. जिला और पुलिस प्रशासन ने जब यहां आने वाले व्यापारियों की सुरक्षा का आश्वासन दिया तब बस्तर के व्यापारी आने के लिए तैयार हुए. अब प्रति मंगलवार बस्तर मे बाजार लगने लगा है. वहीं, लगभग तीन हजार लोग भी यहां खरीदारी के लिए आ रहे हैं.
       
सरपंच ने कहा कि आसपास के कई गांवों में नेतानार का बाजार प्रसिद्ध है. इस बाजार से लोगों की रोजी रोटी भी जुड़ी हुई है. लोग अपनी दैनिक वस्तुओं की आपूर्ति इन्हीं बाजारों के माध्यम से करते हैं. अक्सर यहां के ग्रामीणों को रोजमर्रा की चीजों को जुटाने के लिए आठ से दस किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. अब काफी राहत है.
      
नेतानार बस्तर जिले के दरभा थाना क्षेत्र का एक गांव है. यह गांव आसपास के गांवों में सबसे बड़ा है. वर्ष 2011 में नक्सलियों ने थानेदार महेंद्र धुव समेत छह पुलिस कर्मियों की हत्या नेतानार बाजार के करीब कर दी थी. तब से यह बाजार बंद था.
      
बस्तर क्षेत्र में जब आदिवासियों ने नक्सलियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और सलवा जुडूम के माध्यम से लड़ाई शुरू की तब नक्सलियों और आदिवासियों के बीच सीधी लड़ाई शुरू हो गई थी. इसके बाद से नक्सली लगातार यहां रहने वाले आदिवासियों को निशाना बनाते रहे. नतीजा यह हुआ कि धीरे धीरे कई हाट बाजार बंद हो गए.
      
बस्तर क्षेत्र में लगभग साढ़े तीन हजार गांव हैं और पांच-छह गांवों के मध्य एक हाट होता है, जहां लोग अपनी जरूरत की वस्तुओं को खरीद सकते हैं. सप्ताह में एक दिन लगने वाले इन बाजारों में यहां रहने वाले आदिवासियों के लिए नमक से लेकर सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध रहती हैं.

क्षेत्र में नक्सली गतिवधि बढ़ने और इन बाजारों में लगातार वारदात होने के कारण हाट बंद होते गए जिसका खामियाजा यहां के आदिवासियों को भुगतना पड़ा. हाट बंद होने के कारण अब ग्रामीणों को नमक लेने के लिए भी कई मील का फासला तय करना पड़ता है. वहीं यहां के आदिवासी लघु वनोपज, सब्जी और अन्य वस्तुओं को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश करते रहते हैं.
      
सुरक्षाबलों के मुताबिक अब बस्तर बदल रहा है. शांति की दिशा में बढ़ रहा है और हाट खुलने लगे हैं.
      
बस्तर जिले के पुलिस अधीक्षक आरएन दास ने कहा कि हाल ही में नेतानार के बाजार को फिर से खोल दिया गया है तथा साथ ही कुछ और बाजारों की पहचान की गई है जिसे जल्द ही खोलने का प्रयास किया जाएगा.


       
दास ने कहा कि यहां के हाट बाजार यहां की जनजातीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं. यह न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि यहां आदिवासी मनोरंज भी करते हैं और एक-दूसरे से मिलते हैं तथा रिश्ते तक तय करते हैं. वहीं यह पुलिस द्वारा लोगों का दिल जीतने का बेहतर मौका है जिससे वे पुलिस पर विास बढ़ा सकें. 
      
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि क्षेत्र में नक्सलियों के आतंक के खिलाफ लड़ाई जारी है और सुरक्षाबल अब लोगों का विास जीतने में कामयाब हो रहे हैं. अब यहां के बाजारों को खोला जा रहा और लोग यहां आ रहे हैं तथा विकास के कायरें में हिस्सा ले रहे हैं.
       
दास बताते हैं कि क्षेत्र में नानगुर गांव से कोलेंग के मध्य नेतानार होते हुए एक सड़क बनाई जा रही है. ग्रामीण इस सड़क का नामकरण प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गुंडाधूर के नाम से करना चाह रहे हैं. नेतानार बाजार में गुडाधूर की प्रतिमा भी लगाई जा रही है.

आईएएनएस


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