भू-जल का संरक्षण सबसे बड़ी चुनौती : उमा भारती
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि भू-जल संरक्षण वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती है.
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती (फाइल फोटो) |
उमा भारती ने शुक्रवार नया रायपुर के तूता गांव के नजदीक राष्ट्रीय भू-जल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान का शिलान्यास किया. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि जमीन के अंदर के पानी का संरक्षण करना और साफ-सुथरा बनाए रखना शुक्रवार की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.
उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें तीन स्तरों पर कार्य करना होगा. सबसे पहले बरसात के पानी को संचित करना होगा, उसके बाद संचित पानी को जमीन के अंदर ले जाना होगा और इस पानी को प्रदूषण रहित बनाना होगा.
उमा ने कहा कि लोगों का कहना है कि तीसरा वि युद्घ पानी के लिए होगा, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार और राज्यों की सरकारें मिलकर भू-जल संरक्षण के लिए ऐसा कार्य करेंगी कि हमारे देश में पानी के लिए कोई युद्घ न हो.
उन्होंने कहा कि धन-धान्य से परिपूर्ण भारत देश में 70 प्रतिशत भू-जल खत्म हो चुका है. भू-जल के उपयोग के मामले में भी देश में कई विसंगतियां है. पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में भूजल पूरी तरह समाप्त होने को है, वहीं झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल जैसे अनेक राज्यों में भू-जल का समुचित उपयोग करने की जरूरत है.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पूरे देश की चिन्ता का कारण बन चुके भू-जल के स्तर को ऊंचा करने के लिए केन्द्र सरकार ने तीन विभागों की समिति बनाकर साझा प्रयास करने की रणनीति बनाई है. समिति में जल संसाधन विभाग, पर्यावरण विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को शामिल किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि भू-जल को सुरक्षित बचाने में सरकार से ज्यादा जनता की भूमिका रहेगी. जल का जनता से सीधा नाता होता है. उन्होंने इसके लिए जनप्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सक्रिय सहयोग देने का आव्हान किया और कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं के संसाधनों से पानी बचाने का जतन करने के लिए ग्रामीणों को जागरूक होना पड़ेगा.
उमा भारती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पदभार ग्रहण करते ही अपने पहले भाषण में विकास के लिए जल के संरक्षण और संवर्धन को जन-आंदोलन बनाने का आव्हान किया है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत केन्द्र सरकार ने वर्ष 2020 तक पूरे देश में 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है.
केन्द्रीय मंत्री ने महानदी के पानी के उपयोग पर चर्चा करते हुए कहा कि हम महानदी के पानी को गोदावरी नदी में जाने नहीं देंगे. महानदी के पानी को उसके तटवर्ती क्षेत्रों में ही रिचार्ज करने का हरसंभव उपाय किया जाएगा.
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री ने समारोह में उपस्थित स्कूली बच्चों से कहा कि वे संकल्प लें कि तालाबों, सड़कों और नदियों में कूड़ा-करकट नहीं फेकेंगे और इनकी साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देंगे.
उन्होंने कहा कि रायपुर जिले के दो गांवों को जल क्रांति अभियान के तहत जल-गांव बनाकर वहां स्कूली बच्चों को भेजकर भू-जल संरक्षण के उपायों को दिखाया जाना चाहिए जिससे उन्हें पानी को बचाने की सीख मिले.
भारती ने कहा कि शुक्रवार छत्तीसगढ़ को सतही जल और भू-जल के संरक्षण की दिशा में कारगर पहल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की दो संस्थानों की सौगात मिली है. इन संस्थानों से छत्तीसगढ़ के अलावा आस-पास के राज्यों को भी फायदा मिलेगा.
उन्होंने छत्तीसगढ़ में सिंचाई सुविधा बढ़ाने तथा जल संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार से हरसंभव सहयोग की बात कही.
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर का यह संस्थान बहुत सुंदर जगह में बनेगा. इसके लिए राज्य सरकार का विशेष योगदान है. उन्होंने बताया कि संस्थान भवन के प्रथम फेस के लिए 43 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है.
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