सारण में रूडी पर भारी पड़ रही हैं रोहिणी ?

Last Updated 08 Apr 2024 03:47:25 PM IST

बिहार की सारण लोकसभा सीट पर इस बार सबकी नज़रें टिकी हुईं हैं।


Rohini, Rajeev Pratap Rudi

वजह है लाल प्रसाद यादव की उस बेटी का यहां से चुनाव लड़ना, जिसने अपने पिता को अपनी किडनी दान कर दी थी। इनका नाम रोहिणी आचार्य है। सिंगापुर में रहने वाली रोहिणी इस समय अपने संसदीय क्षेत्र में प्रचार कर रही हैं। बीजेपी के वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूडी अपनी हैट्रिक लगाने की फिराक में हैं, जबकि रोहिणी आचार्य का विश्वास बता रहा है कि यह सीट इस बार फंस सकती है। जातिगत समीकरणों के आधार पर इस सीट का ताना-बाना बुनता जाता रहा है, लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनावों से यहां की जनता ने जाति समीकरणों से हटकर वोट किया था, जिसका नतीजा यह  रहा कि यहां से बीजेपी के प्रत्याशी जीतते रहे। वैसे इस बार यहां की कहानी कुछ अलग लग रही है। बल्कि भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी और राजद प्रत्याशी रोहिणी आचार्य दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है ! वैसे रोहिणी आचार्य का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है! सारण  लोकसभा सीट बिहार की सबसे हॉट सीटों में से एक है।  यहां से लालू प्रसाद यादव चार बार सांसद रह चुके हैं। ऐसा माना जाता रहा है कि उनका मुस्लिम यादव समीकरण उनकी जीत में बड़ी भूमिका निभाता रहा है, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में वह समीकरण टूटता  हुआ दिखाई दिया था। जिसका नतीजा यह रहा कि भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी ने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं राबड़ी देवी को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था।

2019 में भी राजीव प्रताप रूडी ने लालू यादव के समधी, चंद्रिका राय को हराया था, हालांकि इस समय लालू और उनके समधी के बीच का संबंध लगभग खत्म हो चुका है, और वह जदयू के खेमे में जा चुके हैं। राजद ने लालू प्रसाद यादव की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य को उम्मीदवार बनाया है। रोहिणी भी अपनी बड़ी बहन मीसा की तरह जमशेदपुर के महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी। 2002 में साफ्टवेयर इंजीनियर शमरेश सिंह से उनकी शादी हो गई थी। पिछले कई वर्षों से वो सिंगापुर में ही रह रहीं थीं। वह चर्चाओं में तब आयीं थीं जब उन्होंने अपने पिता लालू यादव को अपनी किडनी दान कर दी थी। पिछले दो अप्रैल से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कर चुकीं रोहिणी को देखकर स्थानीय लोगों को ऐसा बिल्कुल ही नहीं लग रहा है कि वो सिंगापुर में रहती थीं।

वो अपने माता-पिता से विरासत में मिले राजनीति को ना सिर्फ अच्छी तरह समझ रही हैं बल्कि सीधे-सीधे यही कह रही हैं कि उनका चुनाव सारण की जनता लड़ रही है। आगे बढ़ने से पहले यहां बता दें कि लगभग 13 लाख वोटर वाले इस लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोटर यादव  बिरादरी के हैं। उनकी हिस्सेदारी लगभग 25% है, जबकि राजपूत वोटर 23% के आसपास हैं। मुस्लिम वोटर 13%  जबकि वैश्य वोटर 20% हैं। यहां दलित वोटरों की संख्या भी लगभग 12% के आसपास है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा की सीटें हैं जिनके नाम, मढ़ौरा, छपरा, गरखा, अमनौर, परसा और सोनपुर हैं। इनमें से चार विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजद के और दो विधायक बीजेपी के हैं।

जातिगत समीकरणों की बात ना भी करें तो आंकड़ों के हिसाब से राजद का पलड़ा यहां भारी पड़ता हुआ दिख दे रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि रोहिणी आचार्य के साथ लोगों का एक भावनात्मक लगाव स्थापित होता जा रहा है। पूरे क्षेत्र की जनता जानती है कि लालू की इसी बेटी ने अपने पिता को किडनी दान की थी। अगर आज लालू जीवित हैं और लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं तो उसमें सबसे बड़ी भूमिका उनकी इसी बेटी की है। ऐसे में सारण के सभी समीकरणों पर रोहिणी का यह पहलू सबसे ज्यादा असरकारक साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में मुमकिन है कि इस बार सारण की सीट है राजद के हिस्से में आ जाए। हालांकि राजीव प्रताप रूडी दावा कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की इमेज और एनडीए सरकार द्वारा किए गए कार्यों को देखते हुए इस बार भी सारण की जनता उनका सपोर्ट करेगी और वह तीसरी बार यहां के सांसद बनेंगे।

 

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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