Bihar के बाहुबली जेल से बाहर, नीतीश ने लगाए एक तीर से दो निशाने

Last Updated 25 Apr 2023 05:54:36 PM IST

बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन के जेल से बाहर आने की सुचना से वहां की राजनीति गरमा गई है। उनकी रिहाई को लेकर कई नेताओं ने नितीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन भाजपा ने आनंद मोहन को लेकर अब तक कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी है।


बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन के जेल से बाहर

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बिहार के भाजपा नेता खुलकर आनंद मोहन का विरोध क्यों नहीं कर पा रहे हैं। सवाल यह भी पैदा हो रहा है कि आखिर नीतीश कुमार ने ऐसा क्यों किया?

दरअसल आनंद मोहन की रिहाई कराकर नितीश कुमार ने एक तीर से दो निशाने लगा दिए हैं।

आनंद मोहन बिरादरी से राजपूत हैं। बिहार में राजपूत जहाँ आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हैं वहीं राजनैतिक रूप से भी बहुत ज्यादा सक्रीय हैं। भले ही देश के किसी राज्य में जाति के आधार वोटिंग न करने की बात की जाती हो, लेकिन बिहार में आज भी जाति और धर्म के आधार पर खूब वोटिंग होती है। 2024 का लोकसभा चुनाव बेहद करीब है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी राजनैतिक गोटियां बिछाने लगी हैं।

ऐसे में भला नीतीश कुमार कहां पीछे रहने वाले थे। नीतीश कुमार पर भले ही किसी बाहुबली पर  मेहरबानी करने का आरोप लग रहा हो, लेकिन ऐसा करने वाले नीतीश कुमार देश के इकलौते नेता नहीं हैं। यह सही है कि आनंद मोहन पर एक दलित आईएएस अधिकारी  की हत्या का आरोप था। लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर में जब वह वह घटना हुई थी, तब शायद, उस भीड़ ने एक आईएएस को मारा था न कि किसी दलित को। भीड़ को शायद नहीं पता था कि जिस अधिकारी के ऊपर ईंट पत्त्थरों से हमला किया जा रहा था वो किस बिरादरी का था।

हालांकि घटना बड़ी थी। लोअर कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सब जगह से आनंद मोहन को सजा ही मिली थी। पटना हाई कोर्ट ने आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी जबकि सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की जगह आजीवन कारावास की सजा दी थी, यानी फांसी की सजा आजीवन कारावास में तब्दील हो गई थी। आनंद मोहन पिछले 14 साल से जेल में बंद थे। हालांकि बेटे की सगाई के लिए उन्हें पेरोल पर रिहा किया गया है। अब आनंद मोहन कुछ दिनों बाद हमेशा के लिए जेल से बाहर आ जायेंगे।

नीतीश कुमार ने जेल नियमावली में बदलाव कर आनंद मोहन जैसे 26 कैदियों को जेल से बाहर आने का रास्ता साफ़ कर दिया है। वर्षों से जो भी कैदी जेल में बंद थे, निश्चित तौर से वो शरीफ नहीं थे। वो हत्यारे थे । उनके बाहर आने से नीतीश कुमार को राजनैतिक फायदा कितना मिलेगा यह तो बाद की बात है, लेकिन नीतीश  कुमार को यह भी देखना पड़ेगा की बाहर आने के बाद उन कैदियों में सुधार होता है या नहीं। आनंद मोहन की रिहाई पर भाजपा कभी भी खुलकर नहीं बोल पाएगी। भाजपा ही नहीं, बिहार की कोई भी पार्टी आनंद मोहन के खिलाफ खुलकर नहीं बोल पाएगी। क्योंकि सबको पता है कि  आनंद मोहन के विरोध का मतलब बिहार के राजपूतों का विरोध करना हुआ।

नीतीश कुमार ने जो काम किया है उससे राजपूत कितने खुश होंगे यह देखने वाली बात होगी, लेकिन नीतीश कुमार के सामने इस समय दो तरह की चुनौती उत्पन्न हो गई है। पहली यह कि जो लोग जेल से बाहर आ रहे हैं, जो शायद आपराधिक मानसिकता के हैं, तो क्या नीतीश उन्हें अपराध करने से रोक पाएंगे? क्या जेल से छूटने वाले अपराधी बिहार में शांति व्यवस्था कायम रखने में नितीश कुमार का साथ देंगे? आखिरी और अहम् सवाल, क्या बिहार के राजपूत मतदाता नीतीश  कुमार का साथ देंगे?

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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