बिहार चुनाव : तेजस्वी के गणित में उलझा JDU, 77 सीटों पर सीधा मुकाबला

Last Updated 21 Oct 2020 12:49:08 PM IST

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस और वामपंथी दल मिलकर चुनाव मैदान में है। ऐसे में राजद का अधिकांश सीटों पर जनता दल (युनाइटेड) से मुकाबला है।


इस चुनाव में पिछले चुनाव से परिस्थितियां बदली हैं। पिछले चुनाव में जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी, जबकि इस चुनाव में जदयू, भाजपा और दो अन्य छोटे दलों के साथ चुनाव मैदान में है। राजद इस चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ चुनाव मैदान में है।

वर्ष 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव मैदान में उतरी राजद 101 सीटों पर चुनााव लड़ी थी जबकि इस चुनाव में वह 144 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। महागठबंधन में सबसे मजबूत और पिछले चुनाव में सबसे बड़े दल राजद का इस चुनाव में अधिकांश सीटों पर जदयू से मुकाबला है।

इस चुनाव में 77 सीटों पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू के उम्मीदवार राजद के उम्मीदवार के सामने हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से जदयू जहां 115 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं भाजपा 110 सीटों पर चुनाव मैदान में है।

भाजपा के सिर्फ 51 प्रत्याशी ही राजद के सामने है। ऐसे में भाजपा के लिए अन्य 59 सीट इन 51 सीटों से अपेक्षाकृत आसान माना जा रहा है। इस चुनाव में राजद के पांच प्रत्याशी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के आमने-सामने हैं जबकि 11 सीटों पर राजद प्रत्याशी का मुकाबला विकासशील इंसान पार्टी से है।

सूत्र कहते हैं कि चुनाव पूर्व सर्वे के आधार पर राजद ने नीतीश से लोगांे की नाराजगी का लाभ उठाने के लिए अपने अधिाकांश प्रत्याशी जदयू के प्रत्याशी के सामने उतारे हैं।

वैसे, राजद के नेता इससे इनकार कर रहे हैं। राजद के एक नेता बताते हैं कि जमीनी हकीकत, पार्टी की क्षेत्रवार मजबूती और जातीय समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी उतारे गए हैं। यह महज संयोग है कि अधिकांश प्रत्याशियों का मुकाबला जदयू के प्रत्याशी से है। उन्होंने बताया कि राजद के लिए भाजपा और जदयू एक समान है।

राजद के अन्य एक नेता का कहना है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं और तय है कि इस चुनााव के बाद वे मुख्यमंत्री पद संभालेंगे। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की जीत तय है, हालांकि कुछ सीटों पर जीतों का अंतर 2000 से 3000 हो सकता है।

इधर, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान भी खुले तौर पर भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं और नीतीश का विरोध कर रहे हैं। लोजपा अधिकांश ऐसे क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी उतारी है जहां जदयू चुनाव लड़ रही है। ऐसे में लोजपा ने भाजपा से नाराज होकर अलग हुए नेताओं को भी टिकट थमाया है, जो जदयू के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और दियारा क्षेत्र से लोजपा के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह कहते भी हैं कि उन्हें व्यक्तिगत आधार पर भाजपा कार्यकतार्ओं का साथ मिल रहा है। वे कहते हैं कि नेताओं का अपना व्यक्तिगत आधार भी होता है।

इधर, जद यू के प्रवक्ता के.सी. त्यागी का कहना है कि राजद के ऐसे किसी भी चाल से उनकी पार्टी चिंतित नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास के मुद्दे पर वे चुनावी मैदान में हैं और राजग का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे है। लोगों को यह तय करना है कि नीतीश कुमार चाहिए या कोई और।

बहरहाल, बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ गई है और सभी दल सत्ता तक पहुंचने के लिए पूरा दमखम से जुटे हुए हैं। ऐसे में जदयू तेजस्वी के इस चाल से कैसे निपट पाता है, यह देखने वाली बात होगी।
 

आईएएनएस
पटना


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