प्रवासी श्रमिकों के लिए नया कानून बने : सुशील मोदी
बिहार के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुशील कुमार मोदी ने 40 साल पुराने कानून के स्थान पर बदले संदर्भ में प्रवासी श्रमिकों के लिए नया कानून बनाने की जरूरत बताई है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी |
भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को कहा कि कोरोना संकट के मद्देनजर लॉकडाउन के दौरान अगर 'अंतरराज्यीय प्रवासी मजदूर एक्ट-1979' का कड़ाई से पालन किया गया होता, तो देश के एक से दूसरे राज्यों में पलायन करने वाले करोड़ों श्रमिकों को फजीहत का सामना नहीं करना पड़ता।
मोदी ने एक बयान जारी कर कहा, "साल 1979 के एक्ट के अनुसार प्रवासी मजदूरों को घर आने-जाने के लिए रेल किराया देने, अस्वस्थ होने पर इलाज, दवा का खर्च वहन करने, पेयजल, शौचालय, स्नानागार तथा विवाद की स्थिति में नियोक्ताओं को दंडित करने का प्रावधान है। इसके साथ ही कानून का पालन कराने के लिए संबंधित राज्यों में इंस्पेक्टर नियुक्त किया जाना है।"
उन्होंने कहा कि "श्रमिकों को नए सिरे से परिभाषित करने के साथ उन्हें कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा स्कीम (ईएसआईएस), लेबर सेस तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा का कवर व सरकार की सभी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ 'वन नेशन, वन राशनकार्ड' के तर्ज पर देने का प्रावधान होना चाहिए।"
राष्ट्रीय स्तर पर प्रवासी श्रमिकों का डेटा बेस तैयार कर प्रत्येक को यूनिक पहचान संख्या देने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान कानून में कंट्रैक्टर के माध्यम से एक साथ गए लोगों को ही प्रवासी मजदूर माना गया है, जबकि आज लाखों लोग बिना किसी कंट्रैक्टर के भी अकेले अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए जाते हैं।
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