बिहार : बाहर से आ रहे लोग सरकार के लिए बने चुनौती
उत्तर प्रदेश के रास्ते मजदूरों का बिहार पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है। मजदूरों की यह संख्या बिहार सरकार के लिए चुनौती बन गई है।
(फाइल फोटो) |
सरकार ने आने वालों के लिए शिविर बनाए हैं तथा वह उन्हें उनके गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है। उनकी जांच भी करवाई जा रही है। बाहर से आने वालों को 14 दिनों बाद ही उनके घर में प्रवेश मिलेगा।
बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के रास्ते बिहार के सीमावर्ती शहरों में 45,000 से अधिक लोग पहुंच चुके हैं और सोमवार शाम तक एक लाख से अधिक लोगों के पहुंचने की संभावना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के पूर्व से ही राज्य सरकार सभी एहतियाती कदम उठा रही थी। इसके बाद लॉकडाउन की घोषणा और कोरोना के मरीजों के मिलने के बाद गांवों तक में लोगों को क्वारिंटीन रखने के लिए सरकारी भवनों को तैयार करने का निर्देश दिया गया। इस बीच, दिल्ली के प्रवासी मजदूरों के कारण सरकार के सामने नई चुनौती आ गई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों के बिहार वापस भेजे जाने पर अपनी नाराजगी जताई थी।
बिहार आपदा विभाग के प्रमुख सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा, "बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमाओं के साथ छह शिविर स्थापित किए गए हैं। सोमवार तक, हम 1.30 लाख लोगों को राज्य की सीमाओं तक पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं। हम भोजन और रहने का इंतजाम करेंगे और उन्हें गांवों और पंचायत भवन के स्कूलों में ले जाएंगे, जहां उनके भोजन, रहने और स्वस्थ रहने की व्यवस्था है।"
एक अन्य अधिकारी ने कहा, "सीमावर्ती जिलों में बने आपदा सीमा राहत शिविर में दूसरे राज्यों से आए लोगों का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। उनके स्वास्थ्य की जांच की गई है। भोजन और आराम के बाद उन्हें परिवहन विभाग द्वारा उपलब्ध बसों में जिला मुख्यालय तक भेजने का प्रबंध किया गया है।"
सरकार का मानना है कि यह प्रक्रिया अभी दो से तीन दिनों तक चलने की संभावना है।
प्रधान सचिव दीपक कुमार ने बताया कि "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बाहर से आए सभी बिहारवासियों को उनके गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंचायत के मुखिया और सरपंच को क्वोरंटीन और सामाजिक दूरी के नियमों के पालन की निगरानी करने को कहा गया है।"
उन्होंने कहा कि 10 मार्च के बाद विदेश से लौटे लोगों की भी जांच करवाई जा रही है, और ऐसे 1,790 लोगों की सूची सरकार के पास है।
बिहार की सीमा में आने वाली भीड़ में शामिल हर व्यक्ति की जिलावार सूची तैयार की जा रही है। बिहार में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को अभी 14 दिनों तक कैंप में रहकर इंतजार करना होगा। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 19 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद और 25 मार्च को लॉकडाउन के बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कम से कम चार उच्चस्तरीय बैठकें कीं, जिसमें 1. 68 करोड़ कार्डधारकों को एक महीने का राशन मुफ्त देने का फैसला किया गया और सभी पेंशनधारियों को तीन महीने का पेंशन देने का निर्णय लिया गया है। इन बैठकों में ऐसे प्रवासी मजदूरों के लौटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।
गौरतलब है कि दिल्ली के बिहार भवन में भी एक नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है, जहां बिहार के बाहर रह रहे लोग फोन कर सहायता मांग रहे हैं।
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