कान्वेंट स्कूलों के बच्चे विदेश जाकर खाने लगते हैं बीफ : गिरिराज सिंह

Last Updated 02 Jan 2020 07:48:14 PM IST

केंद्रीय मंत्री और बिहार के बेगूसराय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद गिरिराज सिंह ने यहां कहा कि मिशनरी (कान्वेंट) स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ऊंचे पदों पर तो जरूर पहुंच जाते हैं परंतु उन्हें संस्कार नहीं मिल पाते, इसलिए प्राइवेट स्कूलों में गीता श्लोक और हनुमान चालीसा पढ़ाया जाना चाहिए।


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद गिरिराज सिंह ने यहां कहा कि मिशनरी (कान्वेंट) स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ऊंचे पदों पर तो जरूर पहुंच जाते हैं परंतु  इससे छात्र पारंपरिक मूल्यों, संस्कृति और संस्कार से अवगत नहीं। अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले सिंह ने एक धार्मिक कार्यक्रम में कहा, "निजी स्कूलों में बच्चों को गीता का श्लोक सिखाया जाए और स्कूल में मंदिर बनाया जाए, क्योंकि मिशनरी स्कूलों में बच्चे पढ़-लिखकर आईआईटी के जरिए इंजीनियर, कलेक्टर, एसपी तो बन जाते हैं लेकिन वही बच्चे जब विदेश जाते हैं तो 10 में से अधिकांश बच्चे बीफ (गोमांस) का भक्षण करते हैं।"

उन्होंने कहा, "ऐसा क्यों होता है, क्योंकि उन्हें वह संस्कार ही नहीं मिल पाता है। क्योंकि हमने उन्हें अपनी संस्कृति व पारंपरिक मूल्यों के बारे में नहीं सिखाया। लिहाजा जरूरी है कि बच्चों को बचपन से ही स्कूलों में गीता का श्लोक और हनुमान चालीसा पढ़ाया जाए।"

बेगूसराय में 'श्रीमद भागवत कथा' कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अगर वे सरकारी स्कूलों में गीता ज्ञान की बात करेंगे तो लोग कहेंगे कि भगवा एजेंडा लागू करना चाहते हैं इसलिए इसकी शुरुआत निजी स्कूलों से होनी चाहिए और वहां गीता ज्ञान की पढ़ाई होनी चाहिए।

गिरिराज सिंह ने कहा कि सनातन धर्म के चलते ही लोकतंत्र जिंदा है। उन्होंने कहा, "लोग हमें कट्टरपंथी कहते हैं, आखिर हम कहां से कट्टपंथी होने लगे। हमारे सनातन धर्म में कट्टरता का स्थान नहीं है। हमें सिखाया गया है कि चीटियों को गुड़ खिलाने से और पेड़ को पानी देने से पुण्य मिलता है।"

उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि निजी स्कूलों में बच्चों को गीता का श्लोक और हनुमान चालीसा की प्रार्थना कराई जाए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में कम से कम एक मंदिर होना चाहिए।



उन्होंने कहा, "पहले 100 से अधिक घरों में हनुमान चालीसा रहती थी, लेकिन अब केवल 100 में से 15 घरों में यह पाया गया और गीता और रामायण की किताबें तो केवल दो-तीन घरों में। इसलिए हम बच्चों को दोष नहीं दे सकते। यह सभी की जिम्मेदारी है कि बच्चों को सही संस्कार दें।

आईएएनएस
बेगूसराय


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