बिहार में बाढ़ से 25 की मौत, सवा लाख लोगों को सुरक्षित निकाला गया: नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के करीब 26 लाख बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाते हुए कहा कि अचानक आई बाढ़ में अब तक 25 लोगों की मौत हुई है जबकि इसमें फंसे करीब सवा लाख लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो) |
कुमार ने आज बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के संबंध में कहा कि तीन-चार दिनों से पड़ोसी देश नेपाल के तराई इलाकों में पिछले वर्षों की तुलना में इस बार अत्यधिक वर्षा हुई, जिसके कारण नेपाल से निकलने वाली नदियों में अधिक जलस्राव के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। उन्होंने कहा कि अचानक आई बाढ़ के कारण राज्य के 12 जिले शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सहरसा, कटिहार और पूर्णिया के 78 प्रखंडों में 555 पंचायतों की 25 लाख 71 हजार की आबादी प्रभावित हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ के संभावित खतरों को देखते हुए पहले से सजग प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया। राहत और बचाव कार्य के लिए 796 मानव बल और 125 मोटर बोट के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की 26 टुकड़ियां तैनात हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक बाढ़ में फंसे सवा लाख लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है जबकि 25 लोगों की मौत हो गई है।
कुमार ने बताया कि बाढ़ प्रभावितों के लिए 199 राहत शिविर खोले गए हैं। इन शिविरों में अभी एक लाख 16 हजार 653 लोग रह रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा 676 सामुदायिक रसोई घरों की व्यवस्था की गई है। जरूरत पड़ने पर और भी राहत शिविर और सामुदायिक रसोई घर की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों के लिए शुद्ध पेयजल, भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई पर समुचित ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा मानव दवा और पशु दवा की समुचित व्यवस्था करने के साथ पशुओं के लिए चारा की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रभावित इलाकों में ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट्स (ओआरएस) का पैकेट, डायरिया की दवा, ब्लीचिंग पाउडर और हैलोजन टैबलेट बांटे जा रहे हैं।
कुमार ने कहा कि सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई है जिसमें बाढ़ पूर्व तैयारियों से लेकर बाढ़ के समय और बाढ़ समाप्ति के बाद किए जाने वाले कार्यों का स्पष्ट उल्लेख है। सभी जिलाधिकारी इसी के अनुरूप ससमय तैयारी कर लेते हैं, जिससे आपदा प्रबंधन का कार्य अधिक सुगम और दक्ष हुआ है।
उन्होंने कहा कि राहत कार्य में कोई कठिनाई न हो इसके लिए वित्तीय नियमों को भी सरल बनाया गया है और वित्तीय सहायता का विकेंद्रीकरण किया गया है। प्रत्येक जिला और मुख्यालय में इमरजेंसी ऑपेरशन सेंटर (ईओसी) की स्थापना की गई है, जो सूचनाओं के संग्रहण, विश्लेषण और प्रेषण के साथ ही नियंत्रण कक्ष के रूप में कार्य करता है। यह 15 जून से ही सभी जगहों पर कार्यरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ राहत के लिए सभी जिलों को आवंटन उपलब्ध कराया जा चुका है। अनुग्रह अनुदान के लिए सरकार ने हर जिले में चक्रीय निधि की व्यवस्था की है। आपदा में मृत व्यक्तियों के आश्रितों को 24 घंटे के अंदर अनुग्रह अनुदान की राशि दे दी जाती है। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से कहते आ रहे हैं कि सरकार के खजाने पर सबसे पहला हक आपदा पीड़ितों का है।
कुमार ने कहा कि राहत कार्य में जितनी भी राशि की आवश्यकता होगी सरकार वह उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को मदद के लिए जो भी जरूरी हो वह किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 2017 की भीषण बाढ़ से प्रभावित लोगों के बीच सहायता राशि के वितरण में बैंकों के कारण विलंब हुआ था। इसे देखते हुए सरकार ने पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) के जरिए पीड़ितों के बैंक खाते में छह हजार रुपये प्रति परिवार की दर से सीधे भेजने का निर्णय लिया है। इससे राशि के अंतरण में बैंक पर कोई निर्भरता नहीं रहेगी।
उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावितों के बीच सहायता राशि के वितरण का कार्य 19 जुलाई से प्रारंभ कर दिया जाएगा। पारदर्शिता के लिए बाढ़ राहत के लाभार्थियों की सूची आपदा समर्पित पोर्टल पर अपलोड की जाएगी।
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