बिहार के साथ अन्याय होगा तो जाएंगे कोर्ट

Last Updated 03 Mar 2015 06:52:13 AM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अगर राज्य के साथ अन्याय होगा तो सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे.


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

बिहार के हित के लिए हम सभी दलों की बैठक बुलाकर वस्तुस्थिति से अवगत करायेंगे. बिहार से जुड़े मामलों पर केन्द्र ध्यान नहीं दे रहा है. यह बर्दाश्त करने वाली बात नहीं है. नये मापदंड के अनुसार बिहार को नुकसान हुआ है. हमारी राज्य योजना और बाकी के खर्चों पर असर पड़ेगा. बीआरजीएफ को खत्म कर दिया गया है. बीआरजीएफ खत्म करना कानून का उल्लंघन है. ये बातें नीतीश कुमार ने सोमवार को जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहीं.

बिहार पुनर्गठन विधेयक के कारण बिहार को विशेष सहायता मिल रही थी. वह धनराशि बीआरजीएफ से दी जा रही थी. यह राजग के शासनकाल में ही शुरू किया गया था. 10वीं पंचवर्षीय योजना में चार हजार करोड़ रुपये की विशेष सहायता दी गयी थी, जो बढ़कर वर्तमान 12वीं पंचवर्षीय योजना में बारह हजार करोड़ रुपये हो गयी. यह बिजली, सड़क एवं अन्य स्वीकृत योजनाओं के लिये दी जाती है. हम बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं. देश के 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के कारण राज्य को जो नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई  होनी चाहिये.

वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलकर हमने बीआरजीएफ खत्म करने पर अपना विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि 13वें वित्त आयोग से बिहार को 10.9 प्रतिशत की राशि मिलती थी, जो 14वें वित्त आयोग से 9.6 प्रतिशत हो जायेगी. पांच साल में बिहार को पचास से साठ हजार करोड़ रुपये का घाटा होगा. 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से वित्तीय वर्ष 2014-15 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2015-16 में पन्द्रह हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने वाला है.

वित्तीय वर्ष 2014-15 में  बिहार को 36,963 करोड़ रुपये मिला, जबकि 2015-16 में 50,747 करोड़ रुपये मिलेगा. केवल 37.3 प्रतिशत की वृद्धि, जबकि बिहार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 21,650 करोड़ रुपये मिलता था, जो वर्ष 2015-16 में 18,000 करोड़ रुपये हो जायेगा. इसी तरह मध्याह्न भोजन योजना के तहत 13,500 करोड़ रुपये के स्थान पर 3,225 करोड़ रुपये मिलेगा. सर्वशिक्षा अभियान में 9,193 करोड़ रुपये के स्थान पर मात्र दो हजार करोड़ रुपये मिलेगा.

यह योजना ऐसी है, जिसे राज्य सरकार हर हाल में चलायेगी. जिसके कारण राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा. 14वें वित्त आयोग से बिहार को मात्र 37.3 प्रतिशत राशि की वृद्धि होगी, जबकि उत्तर प्रदेश को 41.1, राजस्थान को 46, पश्चिम बंगाल को 56.4, गुजरात को 57.7, हरियाणा को 60.3, मध्यप्रदेश को 64.7, महाराष्ट्र को 65.1, आंध्रप्रदेश को 65.3, झारखण्ड को 73.2, पंजाब को 75.9, जम्मू-कश्मीर को 80.3, छत्तीसगढ़ को 90.3 प्रतिशत राशि की वृद्धि होगी. 14वें वित्त आयोग के लागू होने के बाद बिहार को मिलने वाली वृद्धि अन्य राज्यों के हिसाब से तीन न्यूनतम राज्यों में से एक है.

उन्होंने कहा कि 32 प्रतिशत से 42 प्रतिशत की जो वृद्धि हुई है, इसका कम्पोजिशन बदल गया है. अन्य मदों से जो पैसा मिलता था, वह समाप्त हो गया है. 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा बिहार के लिये निगेटिव में चला गया.



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