शब्द-सृजन की ताकत अपार : अमिताभ

Last Updated 12 Jan 2010 03:27:16 PM IST


शब्दों और सृजन की ताकत को अपार बताते हुए बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन मानते हैं कि सृजक कभी इतिहास का हिस्सा नहीं बनता। यह बात अलग है कि सृजक अक्सर अपने जीवनकाल में सराहना से वंचित रह जाता है। अमिताभ ने अपने ब्लॉग में पिता हरिवंश राय बच्चन के संघर्ष के दिनों का जिक्र करते हुए लिखा है कि उन दिनों पिता को ट्यूशन से मात्र 25 रुपए प्रति माह की आमदनी के लिए मीलों दूर पैदल चलना पड़ता था। 25 रुपए यानी आज के दौर में करीब आधा डॉलर और संघर्ष के उन दिनों में यह आधा डॉलर पूरे माह के लिए होता था। हरिवंश राय बच्चन ने अपने संघर्ष के दिनों की पीड़ा को शब्दों में बांध कर ’एकांत संगीत’ की रचना की। तब अमिताभ का जन्म नहीं हुआ था। अमिताभ ने ब्लॉग में लिखा है मेरे पिता ने तब सोचा भी नहीं होगा कि शब्दों का रूप लेकर वह संघर्ष और पीड़ा हिंदी के लाखों पाठकों के दिलो-दिमाग में एक खास जगह बनाएंगी। उन्हें यह अहसास भी नहीं हुआ होगा कि इस रचना को रचते समय उनके जिस पुत्र का जन्म नहीं हुआ था, वह एक दिन इंटरनेट के जरिये उनके विचारों को अनगिनत पाठकों तक पहुंचाएगा। लेकिन यही शब्दों की ताकत है जो अपार है। उन्होंने लिखा है सृजन की शक्ति अपार है। लेकिन दुख की बात यह है कि जीवनकाल में अक्सर सृजक को अपेक्षित सराहना नहीं मिलती। बहरहाल, सृजक कभी इतिहास का हिस्सा नहीं बनता।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment