अनूठा प्रयोग: चिता की राख से बनाया खाद

Last Updated 05 Jun 2021 01:50:16 PM IST

राजस्थान के भीलवाड़ा में नदियों को प्रदूषित होने से बचाने एवं स्वच्छ पर्यावरण के लिए पौधों को पल्लवित करने के लिए अस्थियों की राख की खाद बनाने का नवाचार किया गया हैं।


अनूठा प्रयोग: चिता की राख से बनाया खाद (demo photo)

पंचमुखी मुक्तिधाम विकास समिति के सचिव एवं प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बाबू लाल जाजू ने विश्व पर्यावरण दिवस पर आज इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इससे नदी प्रदूषण होने से बचेगी वहीं पंचमुखी मुक्तिधाम गांधीनगर, मुक्तिधाम शास्त्रीनगर, मुक्तिधाम शहर के स्मृति वन में पौधों में डालकर उन्हें पल्लवित किया जायेगा।

इस खाद से पौधों की वृद्धि जल्दी होगी।

जाजू ने बताया कि पिछले दो महीनों से लगभग 550 कोरोना संक्रमित एवं सामान्य हुई मौतों के बाद पंचमुखी मुक्तिधाम में इन लोगों के अंतिम संस्कार के बाद परिजनों के अस्थियां ले जाने के पश्चात बची अस्थियों की राख के करीब तीन सौ थैले एकत्रित हो गए।

पुरानी परंपरा के तहत अस्थियों की इस राख को त्रिवेणी नदी में प्रवाहित किया जाता हैं, जिससे नदी प्रदूषित होती थी। उन्होंने बताया कि पर्यावरण दिवस के अवसर पर नवाचार करते हुए अब इन अस्थियों की राख के साथ गोबर मिलाकर पौधों के लिए इसकी खाद बनाने की शुरुआत की गई हैं।

यह शुरुआत भीलवाड़ा की सुरभि गोशाला में अशोक कोठारी एवं सुनील जागेटिया के नेतृत्व में की गई है।

समिति के पदाधिकारी रामगोवाल अग्रवाल का भी इसमें काफी सहरानीय सहयोग है। उन्होंने कहा कि राज्स्थान में अस्थियों से खाद बनाने का यह नवाचार पहली बार किया गया है।

जाजू ने बताया कि भीलवाड़ा के अन्य जगहों पर एकत्रित होने वाली इस राख से खाद बनाई जायेगी। जिससे नदियां प्रदूषित होने से बचेगी वहीं उच्च गुणवत्ता की खाद तैयार होने से पौधों के पल्लवित होने से स्वच्छ पर्यावरण तैयार होगा।
 

वार्ता
भीलवाड़ा


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