गेंदा फूल की खेती से आत्मनिर्भर हो रही महिलाएं

Last Updated 18 Dec 2019 02:59:57 PM IST

मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल उमरिया जिले में महिलाएं गेंदाफूल की खेती कर उससे प्राप्त आय से अपने परिवार को आर्थिक रुप से सम्पन्न बनाने के साथ अब अपनी हर छोटी बड़ी जरूरत को स्वयं पूरा कर रही है, जिसे देख जिले की अन्य महिलाएं भी इस खेती को करने आगे आ रही हैं।


कृषि विज्ञान केन्द्र के समन्वयक डॉ के पी तिवारी ने बताया कि आदिवासी बहुल उमरिया जिले में कृषि कार्य करने मे ज्यादातर पुरूष और महिलाएं साथ है, फिर भी उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है।

दो फसलें रबी और खरीफ के बाद अधिकांश समय महिलाओं का घर पर या मोहल्ले मे बैठकर व्यतीत हो रहा है।

पुरूषों के आमदनी पर निर्भर रहने वाली महिलाएं जिसमें आदिवासी और सवर्ण दोनों ही जाति शामिल है, वे अक्सर अपनी छोटी छोटी सी भी आवश्यकता को पूरा करने में हिचकती थी ऐसे में उमरिया कृषि विज्ञान केंद्र ने जिले के तीन सेटेलाइट ग्राम करकेली जनपद अंतर्गत ताली, पत्रली जनपद ग्राम बरहाई, और मानपुर जनपद के ग्राम भरौली की महिलाओ को प्रेरित किया कि वे अपने घर की बाड़ी आंगन खेत के मध्य और घर के सामने की खाली भूमि पर गेंदे के फूल की खेती करे जिससे उन्हें उसकी फसल बेचने से अच्छी खासी आय होगी।

प्रारंभ में महिलाओ मे इस गेंदे की खेती को लेकर जागरूकता की कमी रही, फिर भी जब कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने उन्हें गेंदा फूल के पौधे देकर उन्हें खेती की जानकारी दी तो वे आगे आई।

इन्हे कृषि विज्ञान केंद्र से पूसा बसंती, पत्रक पूसा,  नारंगी, पूसा दीप , पूसा बहार के पौधे दिए गये ये। उन्नत किस्म के पौधे तीन माह के अंदर फूंल देने लगे, महिला इन्हे बेंचकर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

 

वार्ता
उमरिया(मप्र)


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