जहां पानी को चलना और चलते पानी को रेंगना सीखा रहें हैं स्थानीय लोग

Last Updated 30 Jul 2019 03:31:27 PM IST

झारखंड की राजधानी रांची से 32 किलोमीटर दूर आरा और केरम गांव ने जल प्रबंधन को लेकर एक मिसाल कायम की है।


प्रतीकात्मक फोटो

रांची से करीब 32 किलोमीटर दूर पहाड़ की तलहटी में बसे ओरमांझी प्रखंड के आरा और केरम गांव में ग्रामीणों ने बहते पानी को चलना और चलते पानी को रेंगना सिखाकर न केवल अपने खेतों में सिंचाई के साधन उपलब्ध कर लिए, बल्कि बारिश के पानी का संचय कर भूमिगत जलस्तर में वृद्धि भी कर रहे हैं। ग्रामीणों के इसी प्रयास की सराहना प्रधानमंत्री ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में की थी।

आदर्श गांव आरा और केरम गांव के लोग एक साल पहले तक रांची या ओरमांझी में दैनिक मजदूरी करने जाते थे, लेकिन आज इस गांव के लोगों ने श्रमदान कर 'देसी जुगाड़' से पहाड़ से बहते झरने के पानी को, एक निश्चित दिशा दी, जिससे न केवल मिट्टी का कटाव और फसल की बर्बादी रुकी, बल्कि खेतों को भी पानी मिल रहा है। ग्रामीणों का ये श्रमदान, अब पूरे गांव के लिए जीवनदान से कम नहीं है।

आरा गांव के प्रधान गोपाल राम बेदिया ने कहा, "इस गांव के लोगों का उद्देश्य बहते पानी को चलना और चलते पानी को रेंगना तथा रेंगते पानी को खेत में उतारना था। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पहाड़ से उतरने वाले डंभा झरना को बोल्डर स्ट्रक्चर से जगह-जगह पर उसकी गति को धीमी की गई। बोल्डर स्ट्रक्चर के अलावे गांव के परती (खाली) भूमि पर ट्रेंच खोदकर पानी का संचय किया जाता है।"

प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में जल संरक्षण के लिए झारखंड के रांची स्थित ओरमांझी प्रखंड के आरा केरम गांव का उदाहरण पूरे देश के सामने रखते हुए गांव वालों को बधाई दी थी।

उन्होंने कहा, "यहां ग्रामीणों ने श्रमदान करके पहाड़ से गिरते झरने को संरक्षित कर एक मिसाल पेश की है। सघन पौधरोपण से जल संचयन और पर्यावरण संरक्षण किया जा सकता है। ओरमांझी के आरा केरम गांव में ऐसा ही किया गया है। यहां पहाड़ से गिरने वाले बारिश के पानी को ग्रामीणों ने रोककर संरक्षित कर दिया।"

उन्होंने कहा कि यहां 150 ग्रामीणों ने तीन माह तक श्रमदान किया। इस दौरान ग्रामीणों ने पहाड़ी के बीच नाली में जगह-जगह छोट-बड़े पत्थरों से 600 कल्भर्ट बनाए। इससे बारिश के जल का ठहराव होने लगा। अब ये पानी खेतों में सिंचाई के काम आता है और भूमिगत जल में वृद्धि हो रही है।

मोदी ने कहा कि आरा और केरम गांव के ग्रामीणों ने जल प्रबंधन को लेकर जो हौसला दिखाया है, वो हर किसी के लिए मिसाल बन गया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी आरा, केरम गांववासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि झारखंड में जल संरक्षण एक जनांदोलन का रूप ले रहा है। रांची के आरा, केरम गांव के लोगों ने पूरे देश के सामने मिसाल पेश की है।

आरा गांव के रहने वाले बाबूलाल कहते हैं कि यहां की 50 एकड़ भूमि में 300 से ज्यादा ट्रेंच कम बेड (बड़ा गड्ढा) की व्यवस्था बनाई गई है जो बहते पानी को रोकने में कारगर हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह सारी व्यवस्था ग्रामीणों ने श्रमदान कर की है। आज भी यहां के लोगों द्वारा महीने में दो दिन श्रमदान किया जाता है, जिससे व्यवस्था को और बेहतर किया जा सके।

केरम गांव के प्रधान रामेश्वर बेदिया प्रधानमंत्री द्वारा गांव की चर्चा किए जाने से काफी खुश हैं। रामेश्वर ने कहा, "मुझे बेहद खुशी हो रही है। हमारे गांव का नाम हो रहा है। इसके पीछे हम सबकी मेहनत है। हम जल संरक्षण को लेकर आगे और तेजी से काम करेंगे। हम सोख्ता गड्ढा बना रहे हैं। हम गांव के लोग एक बूंद पानी बर्बाद नहीं होने देंगे।"

रांची के जिलाधिकारी (उपायुक्त) राय महिमापतरे ने को बताया कि आरा केरम की सबसे बड़ी विशेषता वहां सभी लोगों का एकजुट होकर काम करना है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उनमें चेतना जगाई और पहले गांव को शराबमुक्त किया और फिर सभी खेती में जुट गए। आज वहां के लोग ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस गांव से अन्य गावों को सीख लेनी चाहिए।गौरतलब है कि यह गांव शराबमुक्त भी है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रधानमंत्री ने अपने 'मन की बात' में जल संरक्षण की दिशा में झारखंड के हजारीबाग जिले के लुपुंग पंचायत में हो रहे जल संरक्षण के कार्यो की सराहना करते हुए वहां के मुखिया दिलीप कुमार रविदास का अनुभव सुनाया था।

आईएएनएस
रांची


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment