उर्दू में ही नहीं, अंग्रेजी और कई भाषाओं में लिखी जा रही हैं गजलें

Last Updated 29 Mar 2019 11:57:02 AM IST

इंटरनेट के कारण उर्दू गज़ले दुनिया में खूब लोकप्रिय हो रही हैं और अब अंग्रेजी समेत कई जुबानों में गजलें लिखी जा रही है।


उर्दू में ही नहीं, इन भाषाओं में लिखी जा रही हैं गजलें (फाइल फोटो)

पूरी दुनिया में रेख्ता फाउंडेशन पर उर्दू साहित्य पढ़ने वालों की रोजाना संख्या एक लाख तक पहुंच गई है। यह कहना है जामिया मिल्लिया के सेवानिवृत्त अंग्रेजी प्रोफेसर एवम प्रसिद्ध अनुवादक शायर डॉ अनीसुर रहमान का जिन्होंने गत 500 वर्षों  के उर्दू गज़ल का एक संचयन निकाला जिसमे 500 शायरों की गज़लों का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।

जामिया के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ रहमान की पुस्तक हारों ख्वाहिशें का लोकार्पण कल यहां किया गया जिसमें प्रसिद्ध गज़ल गायिका रश्मि अग्रवाल ने चुनिंदा गजलों का गायन भी किया।

डॉ रहमान ने बताया कि भारत में सोलहवीं सदी में उर्दू के पहले गज़ल कर कुलिब कुतुब शाह हुए तब से 500 साल तक गज़लें लिखी जाती रही। अब तो बंगला, गुजराती, मराठी, कश्मीरी में भी गज़लें लिखी जा रही। हिंदी में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने पहली गजल लिखी ,शमशेर और लोचन ने भी गजलें लिखी लेकिन दुष्यंत कुमार से हिंदी गजलें खूब लोकप्रिय हुईं। इंटरनेट फेसबुक व्हाटसअप से उर्दू गजल काफी लोकप्रिय हुई और अमेरीका, कनाडा, स्पेन, आस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया तथा यूरोप के कई देशों में गजलें लिखी जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि अंग्रेजी में भी गजलें लिखी जा रही है और आज से दस साल पहले आगा शाहिद अली ने 100 अंग्रेजी गजलों की किताब निकाली जो अमरीका में प्रकाशित हुई तब
मैंने उसकी समीक्षा भी लिखी। उन्होंने बताया कि रेख्ता फाउंडेशन की वेबसाइट ने दुनिया मे उर्दू को लोकप्रिय बनाया है जिस पर रोजाना करीब एक लाख हिट्स आते हैं। दुनिया के 40 देशों से अधिक में यह वेबसाइट देखी जाती है।

जहां-जहां प्रवासी भारतीय और प्रवासी पाकिस्तानी है वहां उर्दू के निशान है। हिन्दी फिल्मों ने भी उर्दू को लोकप्रिय बनाया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी इस किताब में आफताब हुसैन इशरत आफरीन इस्त खार आरिफ आदिल मंसूरी की भी गज़लें हैं जो विदेशों में रहकर अच्छी गज़लें लिख रही हैं। मीर गालिब फिराक से लेकर निदा फाजली और बानी की गज़लों के अंग्रेजी अनुवाद है।

उन्होंने बताया कि इस किताब के दूसरे खण्ड में उर्दू ना्मों और गद्य के अनुवाद होंगे इस तरह पहली बार उर्दू के 500 साल की रचनाओं को  दुनिया के सामने अंग्रेजी में पेश किया जाएगा जिस से दुनिया को पता चलेगा कि यह जबान कितनी समृद्ध है।

 

वार्ता
नयी दिल्ली


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