जहां सैलानियों को मिलेगा झोपड़ीनुमा रेस्तरां, बांस में पके बस्तरिया व्यंजन परोसा जाएगा
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ‘इकोफ्रेंडली लामनी पार्क’ में प्राकृतिक परिवेश के बीच अब सैलानियों को बस्तरिया जायका भी सहजता से उपलब्ध कराया जा रहा है.
फाइल फोटो |
बस्तर में प्रसिद्ध ‘बोबो’ और ‘भजिया’ महिला समूह के द्वारा खिलाया जा रहा है. जल्द ही बांस में पके बस्तरिया व्यंजन परोसे जाएंगे. जैव विविधता संरक्षण, विकास एवं प्रशिक्षण केंद्र की देख-रेख करने वाली महिला स्वसहायता समूह द्वारा झोपड़ीनुमा रेस्टोरेंट तैयार किया गया है. जिसमें नारियल के पत्तों से व बांस एवं बल्लियों का उपयोग किया गया है.
रेस्टोरेंट को प्राकृतिक खुले वातावरण में पाइन के जंगलों के बीच बस्तर के स्वाद का मजा पर्यटक ले सकते हैं. समूह की अध्यक्ष बसंती बघेल ने बताया कि पहले चरण में देशी टमाटर की चटनी के साथ तीन अलग-अलग प्रकार से तैयार ‘बड़ा’ का स्वाद ले सकते हैं. व्यंजन पत्तल पर परोसे जाएंगे. बस्तर का परंपरागत मीठा व्यंजन ‘गुलगुला’ पार्क के मीनू में शामिल है.
रेस्टोरेंट में दूसरे चरण में ‘बेंबू चिकन’ एवं ‘बिरियानी’ को केले पत्ते पर परोसा जाएगा. जायका बढ़ाने के लिए ‘चापड़ा चटनी’ भी विशेष आकर्षण होगा. रेस्टोरेंट की सुरक्षा के लिए वन विभाग जालीदार बेरीकेट लगा रहा है. सैलानियों को रेस्टोरेंट में प्रवेश बाहर से करना होगा जिसके लिए लकड़ी की पुलिया बनाई गई है.
बस्तर जिले में पहली बार पार्क में देशी व्यंजन परोसे गए जिसमें पहले दिन ही स्वसहायता समूहों को सात सौ रुपए की आय हुई जिसके बाद महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ गया. अब वे कई और परंपरागत व्यंजनों को मीनू में शामिल करने की तैयारी में हैं.
वन परिक्षेत्र अधिकारी जीरएस राव ने बताया कि पार्क को विकसित करने, रख-रखाव और पार्क की सुरक्षा सहित सफाई की जिम्मेदारी महिला स्वसहायता समूह को दी गई है.
इस बात पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि पार्क की नेचुरलिटी बरकरार रहे. रेस्टोरेंट के प्रवेश द्वार को आकर्षक बनाने के लिए लकड़ी की पट्टी से पुलिया बनाई गई है. यहां सैलानियों के लिए घोड़े की व्यवस्था भी है जिस पर बैठकर वे पार्क का भ्रमण कर सकेंगे.
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