लोकसभा चुनाव में BJP के प्रदर्शन को कम करके आंकना विपक्षी प्रोपेगेंडा
18वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम के अनुसार मीडिया में यह बात फैलाई जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की करारी हार हुई है। दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन की सरकार नहीं बन रही है। उनके पास आंकड़े नहीं हैं, फिर भी विपक्षी इंडिया गठबंधन उत्साहित क्यों है
Lok Sabha elections 2024 |
1962 के बाद पहली बार कोई गैर कांग्रेसी सरकार अपने दो कार्यकाल पूरे करने के बाद तीसरी बार सत्ता में वापस आई है। यह अपने आप में बहुत बड़ी सफलता है। पीएम नरेंद्र मोदी लगातार तीन कार्यकाल चलाने वाले जवाहर लाल नेहरू के बाद दूसरे प्रधानमंत्री होंगे। नरेंद्र मोदी का तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री बनना अपने आप में हैट्रिक है।
जिस समय नेहरू पीएम बनें, उस समय देश में कांग्रेस एक ही पार्टी थी, देश हो या विदेश, पीएम के चुनाव में कोई विरोध नहीं था। लेकिन, आज के अत्याधुनिक प्रचार माध्यम और अलगाववादी तत्वों की चुनौती रहते हुए नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना अपने आप में एक मील का पत्थर है। सीटों के लिहाज से बीजेपी को भले ही नुकसान हुआ, लेकिन लगातार तीसरी बार वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
देश पर दस साल शासन करने के बाद भी नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री बने हुए हैं। देश की जनता का भरोसा उन पर कायम है। एनडीए के घटक दल और देश के बड़े क्षेत्रीय दलों के नेता नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को समर्थन देने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए लोकसभा चुनाव में ना सिर्फ बहुमत से ज्यादा सीट पाने में कामयाब रहा है, बल्कि बीजेपी अपना वोट शेयर बढ़ाने में भी सफल रही है। बीजेपी इस चुनाव में 240 सीटों के साथ एक बार फिर देश की सबसे बड़ी पार्टी बनने में सफल रही है।
भाजपा ने अकेले विपक्षी गठबंधन की कुल सीटों से अधिक सीटें जीती है। 2019 में बीजेपी को 37 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार इससे सिर्फ 1 प्रतिशत से कम यानी 36.56 प्रतिशत वोट मिले हैं। इसके साथ ही एनडीए को कुल 292 सीटें मिली है, जो बहुमत 272 से ज्यादा है। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को सिर्फ 233 सीटें ही मिली हैं। इंडिया गठबंधन मिलकर भी उतनी सीटें जीत नहीं पाई, जितनी बीजेपी अकेले जीतने में सफल रही। बीजेपी ने इस चुनाव में कई राज्यों में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की है। 6 राज्यों में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है। जिसमें दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा शामिल हैं।
बीजेपी दिल्ली की सभी सात सीटों पर, मध्य प्रदेश में 29 की 29, हिमाचल प्रदेश में चार में से चार, उत्तराखंड में पांच में से पांच, गुजरात में 26 में से 25, ओडिशा में 21 में से 20 और छत्तीसगढ़ में 11 में से 10 सीटें जीतने में सफल रही है। इसके साथ ही बीजेपी ने तेलंगाना में 17 में से 8 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पंजाब में बीजेपी को कोई सीट नहीं मिली है, लेकिन वोट प्रतिशत 2019 के 9.63% से बढ़कर 18.5% हो गया है, जो बड़ी उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दक्षिण में भी बीजेपी का जनाधार तेजी से बढ़ रहा है। तमिलनाडु में बीजेपी का वोट प्रतिशत 3.62 से तीन गुना बढ़कर 11.24 प्रतिशत हो गया है। आंध्र प्रदेश में वोट प्रतिशत 0.90 से 11 गुना बढ़कर 11.28 प्रतिशत हो गया है। पार्टी ने आंध्र प्रदेश में 3 सीटें भी जीती। तेलंगाना में वोट प्रतिशत 19.65 से बढ़कर 35.08 प्रतिशत हो गया है। बीजेपी तेलंगाना में 17 में से 8 सीटें जीतने में भी सफल रही।
इसके साथ ही दक्षिण भारत में अपना स्थिति मजबूत करते हुए बीजेपी पहली बार केरल में अपना खाता खोलने में सफल रही है। बीजेपी उम्मीदवार सुरेश गोपी त्रिशुर से जीते। केरल में बीजेपी का वोट प्रतिशत भी 12.99 से बढ़कर 16.68 प्रतिशत हो गया है। बीजेपी को करीब 16.58 फीसदी मतों के साथ केरल में सीट पर जीत, आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम के साथ गठबंधन में मिले 12 प्रतिशत मतों के साथ तीन सीटें और तेलंगाना में लगभग 35 प्रतिशत मतों के साथ पहले से दोगुनी सीटों पर जीत लोगों की सांस्कृतिक पहचान तथा अस्मिता सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री पर भरोसा बढ़ाती दिखती है।
भाजपा ने आदिवासी क्षेत्रों और एसटी आरक्षित सीटों पर सबसे अधिक सीटें हासिल की हैं। एसटी आरक्षित 47 सीटों में से 25 सीटें जीती। आदिवासी बहुल क्षेत्र मे 54 में से 37 सीटें जीती। भाजपा ने शहरी वोटों का बड़ा हिस्सा हासिल किया है, 2019 में 33.6% की तुलना में 40.1% शहरी वोट हासिल किया।
ओडिशा विधानसभा चुनावों में बड़ा उलटफेर करते हुए बीजेपी यहां सरकार बनाने जा रही है। बीजेपी ने राज्य में 24 साल से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को हराकर इतिहास रच दिया है। बीजेपी ने ओडिशा में 147 सीटों में से 78 सीटों पर जीत हासिल कर पूर्ण बहुमत हासिल किया है। पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। बीजेपी ने यहां की 60 विधानसभा सीटों में से 46 पर जीत दर्ज कर सभी को हैरत में डाल दिया है।
भाजपा अयोध्या और आसपास की सीटें भले ही हार गई हो, लेकिन इससे राम मंदिर के सरोकारों के विस्तार का महत्व कम नहीं हो जाता है। दक्षिण में कर्नाटक से बाहर भाजपा की स्वीकार्यता बढ़ने के मूल में राम ही हैं। जिनको प्रतीक बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने सनातन संस्कृति और सरोकारों के जरिए दक्षिण के राज्यों में भाजपा की जगह बनाने में कामयाब हुए हैं। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद जिस तरह सनातन हिंदू संस्कृति के सरोकारों को सम्मान देने का काम शुरू हुआ। उसने उनमें अपनी संस्कृति, विरासत को बचाने के लिए आवाज उठाने का साहस भरा।
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